डॉ. प्रकाश आमटे को समाजसेवा विरासत में मिला है। वह महान समाजसेवी मुरलीधर देवीदास आमटे जिन्हें हम “बाबा आमटे के नामसे जानते हैं, के सुपुत्र है। बाबा आमटे भारत के ऐसे प्रमुख व सम्मानित समाज सेवी थे जिन्होंने कुष्ठ रोगियों की सेवामे अपना जीवनसमर्पित कर दिया।उन्होंने कुष्ठ रोगियों के लिए अनेक अश्रमो की स्थापना की जिनमें महाराष्ट्र के चंद्रपुर में स्थित “आनंद वन” का नामप्रसिद्ध है।
” मनुष्य सामाजिक जीव है” – यह वाक्य अनेक बार सुनकर हम विपरीत अनुभव कर चुके हैं। विचार करें… क्या मनुष्य, अन्य मनुष्य के प्रतिसहिष्णु है? क्या मनुष्य अपने अन्य अनेक सहजीवियों से सहानुभूति रखता है?
हमें क्या कभी कोढ़ी या आदिवासी समाज से इतनी अनुकंपा रही है कि हम सुख साधन और समृद्ध जीवन का त्याग कर हमारा तन, मन, धनउनकी सेवा में समर्पित करें? ऐसा सेवा कार्य केवल समाज के श्रेष्ठ सेवक ही कर सकते हैं। जिस युग में ऐसे महान व्यक्ति आते है, वह युगधन्य हो जाता है।
ऐसे ही अलौकिक व्यक्तिव की दो महान हस्तियों का आगमन शुक्रवार दिनांक ३ मई की संध्या को सलाला, ओमान में हुआ। मैंबात कर रही हूं पद्मभूषण डॉ. प्रकाश आमटे एवम उनकी जीवन सहचारिणी, स्त्री शक्ति प्रतीक स्वरूप श्रीमती मंदाकिनी आमटे की जो सलालाके “अल जबेल” होटल के ऑडिटोरियम में आए । उनका भव्य स्वागत पारंपरिक वेशभूषा में सज्ज सलाला के मराठी संस्कृतिक विभाग केसदस्यों ने किया। युवा और बालकों ने प्रवेश द्वार पर लेजिम नृत्य भी किया। ऑडिटोरियम अपनी क्षमता से ज्यादा भर गया था, पैर रखने कीभी जगह नहीं रही थी।
सब जानते हैं कि डॉ. प्रकाश आमटे को समाजसेवा का गुण विरासत में मिला है। वह महान समाजसेवी मुरलीधर देवीदास आमटे जिन्हेंहम “बाबा आमटे के नाम से जानते हैं, उनके सुपुत्र है। बाबा आमटे भारत के ऐसे प्रमुख व सम्मानित समाज सेवी थे जिन्होंने कुष्ठ रोगियों कीसेवामे अपना जीवन समर्पित कर दिया।उन्होंने कुष्ठ रोगियों के लिए अनेक अश्रमो की स्थापना की जिनमें महाराष्ट्र के चंद्रपुर में स्थित “आनंदवन” का नाम प्रसिद्ध है।
दीप प्रज्ज्वलित करके स्वागत भाषण के पश्चात आमटे दंपत्ति को मंच पर अति आदर से लाया गया। उनका सहृदय स्वागत हुआ औरऑडिटोरियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। उसके बाद आमटे दंपत्ति ने भी मराठी सांस्कृतिक विभाग के कुछ कार्यकर्ताओं को सम्मानचिन्ह से नवाजा।
आमटे दंपति की तेजोमय उपस्थिति ने सेवा, समर्पण, संभव, संवेदना के आलोक से मंच पर एक स्वर्णिम दीप्ति की रचना कर दी। डॉ. प्रकाश आमटे स्वयं की समाजसेवा यात्रा की कहानी सुनाई। एक पारिवारिक पिकनिक के समाज सेवा पथ में परिवर्तित होने का प्रसंग अत्यंतदिलचस्प रहा।
महान व्यक्तियों का जब साक्षात होता है तब हम नतमस्तक जरूर होते हैं परंतु अनेक अनुत्तरित प्रश्नों के साथ। एक स्त्री होने के कारणमुझे स्वयं यह जानने की प्रबल उत्कंठा थी कि आदिवासी समाज की स्त्रियों के जीवन की समस्याएं और अन्य समाज की स्त्रियों कीसमस्याएं क्या एक जैसी ही है?? आशा है यह प्रश्न उन तक पहुंचे
सेवा जीवन के प्रारंभ में ही डॉ. प्रकाश को डॉ. मंदाकिनी के स्वरूप में एक सच्ची साथी, प्रेयसी और समर्पित पत्नी मिली। इसलिए कहा हैकि जोड़ियां स्वर्ग में बनती है। उनके मिलन, विवाह और साथ साथ सेवा कार्य का कठिन पथ पार करने का सफर अत्यंत प्रेरणादायक है। युवापीढ़ी को उनसे खास प्रेरणा लेनी चाहिए।
हम जब अपने समाज में सेवा कार्य या बदलाव लाने का प्रयत्न करते हैं तो संकोच भी होता है और अनेक कठिनाइयां भी आती है। इसमहान दंपति ने “मोदिया गोंड” नामक आदिवासी समाज से न केवल संवाद स्थापित किया, उनके बीच अनगिनत सेवा कार्य भी किए। उनके इसकार्य के विविध अनुभव सुनकर ह्रदय रो उठा और सर सम्मान से झुक गया। एक ऐसे आदिवासी को उन्होंने जीवन दान दिया, जो जले हुए,नासूर से भरे अंग को लेकर मृत्यु की प्रतिक्षा कर रहा था। यह अदभुत शक्ति का उदाहरण है।
आदिवासी तो फिर भी मनुष्य प्रजाति के है, इस विस्मय सभर दंपति ने अन्य वन्य जीवों की भी सेवा की है। आश्चर्य होता है!! यह कैसेसंभव है? इन प्रेरणादाई विभूतियों ने समाज को अपने परिवार से और भी सेवक दिए। उनकी संतान और संतान से जुड़े परिवार के सदस्यों नेसंस्कार, परंपरा और अनुशासनपूर्ण आजादी की परवरिश का उदाहरण स्थापित किया है।
डॉ. प्रकाश और डॉ. मंदाकिनी के एक एक शब्द दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर रहे थे तभी समय ने सीमित होने की साक्ष्य दी। जिज्ञासा औरअतृप्त मन को अतिथि आभार भाषण ने चुप कर दिया। पूर्णाहुति में बाल कलाकारों ने नयनरम्य सांस्कृतिक नृत्यों से सभी का मन मोह लिया।
महान व्यक्तियों का जब साक्षात होता है तब हम नतमस्तक जरूर होते हैं परंतु अनेक अनुत्तरित प्रश्नों के साथ। एक स्त्री होने के कारणमुझे स्वयं यह जानने की प्रबल उत्कंठा थी कि आदिवासी समाज की स्त्रियों के जीवन की समस्याएं और अन्य समाज की स्त्रियों की समस्याएंक्या एक जैसी ही है?? आशा है यह प्रश्न उन तक पहुंचे।
पद्मश्री.डॉ.प्रकाश आमटे और श्रीमती डॉ. मंदाकिनी आमटे से संवाद का अनुभव अनन्य और अविस्मरणीय रहेगा।
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