आज एक मित्र (यही शब्द ठीक रहेगा) ने शुभ रात्रि कहने के पश्चात मेरे लिए मधु-स्वप्न की भी कामना की। सपनों पर यूँ तो बहुत कुछ लिखा गया है पर मैथ्यू आर्नोल्ड की कविता लोंगिंग (हसरत) उस विषय पर मेरी सबसे प्रिय कविता है। पहले कविता को पढ़ें और अनुवाद की कोशिश भी …
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मैं आजकल अंग्रेजी बहुत कम पढ़ता हूँ, मेरा ज्यादा ध्यान इधर बीच हिंदी पर है। हालाँकि मैं अनूदित कहानियाँ ही पढ़ रहा हूँ और दुखी हो रहा हूँ। हिन्दी में अनुवाद अच्छे नहीं हुए हैं।
प्रेम पर हिन्दी में बहुत थोड़ा लिखा गया है और अगर श्रीकृष्ण के रास को छोड़ दें तो हिन्दी साहित्य में श्रृंगार रस में बहुत थोड़ा काम हो पाया है। छायावाद में प्रेम है पर वह उन्मुक्त प्रेम नहीं है। शिवानी जी पर बोलते हुए हिन्दी विभाग के एक प्रोफेसर ने कहा था कि वे इतनी सुसंस्कृत थीं कि नायिका के वस्त्र को घुटने से ऊपर ले जाने में उन्हें अपने वसनों के घुटनों से ऊपर जाने का आभास होता था। यही हिन्दी साहित्य का मूल संस्कार रहा है।
आज एक मित्र (यही शब्द ठीक रहेगा) ने शुभ रात्रि कहने के पश्चात मेरे लिए मधु-स्वप्न की भी कामना की। सपनों पर यूँ तो बहुत कुछ लिखा गया है पर मैथ्यू आर्नोल्ड की कविता लोंगिंग (हसरत) उस विषय पर मेरी सबसे प्रिय कविता है। पहले कविता को पढ़ें, नीचे अनुवाद की कोशिश भी है:
Come to me in my dreams, and then
By day I shall be well again!
For so the night will more than pay
The hopeless longing of the day.
(मेरे सपने में आ जाओ कि तुमको देखकर
मैं दिन भर के लिए पुनः मुदित हो जाता हूँ
चूँकि रात मुझे दे चुकी होती है,
मेरे दिन की सभी अति आशावादी हसरतों से भी ज्यादा)
Come, as thou cam’st a thousand times,
A messenger from radiant climes,
And smile on thy new world, and be
As kind to others as to me!
(आ जाओ जैसे तुम आती रही हो हज़ारों बार,
उजालों और खुशियों का संदेश सुनाती हुई।
और अपनी इस नई दुनिया को रौशन कर,
मुझपर भी अपने सहज प्रेम-सुधा की वृष्टि करो।)
Or, as thou never cam’st in sooth,
Come now, and let me dream it truth,
And part my hair, and kiss my brow,
And say, My love why sufferest thou?
(वैसे तो तुम हकीकत में कभी नहीं आती,
पर अभी मेरे सपने में आकर मेरा सपना सच कर दो।
मेरी ज़ुल्फों को सँवारो और मेरे भँवों को चूम कर
मुझसे पूछो, मेरी मोहब्बत तुम्हें किस बात का गम है?)
Come to me in my dreams, and then
By day I shall be well again!
For so the night will more than pay
The hopeless longing of the day.
(मेरे सपने में आ जाओ कि तुमको देखकर
मैं दिन भर के लिए पुनः मुदित हो जाता हूँ
चूँकि रात मुझे दे चुकी होती है,
मेरे दिन की सभी अति आशावादी हसरतों से भी ज्यादा)
Longing by Matthew Arnold
अंग्रेजी कविता का हिंदी अनुवाद भाई अमित सिंह परमार की निरंतर मिल रही धमकियों के कारण करना पड़ा है।
वैसे जो किसी को सपनों में भी इतने आग्रह से बुलाए, वही प्रेम है।
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