हम तौबा कर के मर गए बे-मौत ऐ ‘ख़ुमार’
तौहीन-ए-मय-कशी का मज़ा हम से पूछिए
ख़ुमार
अब कुछ यही हालत हमारी थी, केवल यहाँ मामला तौहीन-ए-आशिकी का था।
आदमी जब कुछ गलत करने जा रहा होता है तब उसके तर्क अकाट्य होते हैं। मैंने भी इस तौबा के बंधन को काटने के लिए भीष्म प्रतिज्ञा को महाभारत का का कारण करार दिया औरइसी बहाने अपनी कसम तोड़ एक बंगाली कन्या के नैनों से घायल होकर पुनः इश्क़ के मैदान में वापसी की।
मुझे पता था कि इमरान खान ने सन्यास से वापसी करने के बाद ही विश्व कप जीता था। बंगाली बालाओं में बला का आकर्षण होता है, पुरानी कहानियों में उनके जादू-टोने की बात भीपढ़ी है सो अपने कुल तिलिस्म के साथ एक मोहिनी मेरे सामने खड़ी थी।
मूर्खता का आत्मविश्वास सर्वोपरि होता है, आत्म-प्रवंचना का भी। मैं उसके देखने को भी उसकी रज़ा समझता था, मुस्कुराने को भी, बतियाने को भी। मैं सजावटी भाषा में उसको प्रेमपत्रलिखता था, जिसे वह लेती और फिर अपने अक्षरों में उसे उतारकर अपने प्रेमी को दे देती जो मेरा भी मित्र था। वह तो उसकी किताब में मैंने जब एक चिट्ठी पकड़ी तब समझा कि यह पत्रलेती तो है पर जवाब क्यों नहीं देती। मुझे लिखना आता था, उसे उसका उपयोग करना। वो दिन था और आज का दिन है, मैंने प्रेम तो कई किए पर प्रेमपत्र नहीं लिखा।
इश्क़ का यह इस्तेमाल करने वाला पहलू मेरे लिए नया था और इसकी प्रैक्टिकल को ध्यानपूर्वक करते हुए मैंने किसी प्रकार 12वीं कक्षा भी पास कर ही ली। अब चला काशी की ओर…
क्रमशः
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