देशप्रेम के दो शब्द

विकास का हमारा सफर भी जारी रहेगा , मगर आज तो वो शब्द ढूंढना है जो मेरे देशप्रेम और देश के प्रति गर्व को बयान कर सके, मेरी खोज तो जारी है, ऐसा कोई एक  शब्द आपके जेहन में है क्या?   

PRAVASISAMWAD.COM

इन दिनों सम्पूर्ण देश की भांति हमारे ऑफिस में भी हमारी स्वतंत्रता के अमृतपर्व को मनाने के ढेरों उपक्रम चल रहे हैं, उनमे से एक कॉम्पीटीशन ने मेरा ध्यान आकर्षित किया जिसमे एक या दो शब्दों में हमें मातृभूमि  के लिए अपने गर्व और देशभक्ति को वर्णित करना को कहा गया था । इस  सवाल ने सोचने को मजबूर किया कि वाकई वो कौन से ऐसे दो शब्द हैं जो मेरे भारत के लिए  मेरे गर्व और मेरी देशभक्ति की भावना को परिलक्षित कर सकते हैं।

सवाल बहुत कठिन जान पड़ा, बहुत सोचने पर भी मैं अपनी मातृभूमि के प्रति अपने प्रेम को दो शब्दों में नहीं समेत पाई, शब्द तो बहुत आये ज़ेहन में, परन्तु ऐसा शब्द जो मेरी भावनाओं को सम्पूर्णता से व्यक्त कर दे ऐसा कोई शब्द सूझा ही नहीं।

पहले तो अपने भाषा ज्ञान पर बड़ी कोफ़्त हुई कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता वाले हमारे देश में खुद को अभिव्यक्त करने के लिए शब्द नहीं मिल रहे ये कैसी वैचारिक शून्यता है! फिर ख्याल आया कि शायद देशप्रेम के जज़्बे में ही  कहीं कमी है जो मन के उद्गार शब्द का रूप नहीं ले रहे।

मैंने अपना पूरा सप्ताहांत (वीकेंड) ‘स्लीपिंग ऑन इट’ अंग्रेजी फ्रेज़ की ज़द में बिताया मगर मज़ाल है कोई एक शब्द सूझा हो जो मुक्कमल लगे! बहुत सोचने के बाद जो बात समझ में आई वो ये के अपने देश, अपनी मातृभूमि के लिए अपने प्रेम को एक शब्द में समोना शायद मुमकिन ही नहीं।

हमारा देश अनेकता में एकता का ऐसा खूबसूरत उदाहरण है जहां अलग भाषा अलग रहन सहन अलग पहनावा अलग खान पान होने पर भी ह्रदय से सब भारतीय हैं। मेरा देश जहां क्रिकेट का खेल एक मजहब है, अनेकता में एकता देखनी हो तो कभी देश के वीर जवानों के सम्मान में झुके सरों को देखना चाहिए।

एक ओर जहां हमारा सांस्कृतिक ऐश्वर्य, हमारी आज़ादी का अनूठा संघर्ष हमारे सुनहरे इतिहास का मुज़ाहिरा कराता है वहीं आज़ादी के पचहत्तर सालों का हमारा ये सफर हमारे अंदर भरी असीम संभानाओं को भी  परिलक्षित करता है।

ऐसा भी नहीं देश प्रेम से भरा ह्रदय कमियों को नज़रअंदाज़ कर रहा है, जानता है रास्ता मुश्किल है, अभी हमें बहुत आगे जाना है, अभी अपनी बेटियों को बराबरी का दर्ज़ा दिलाना है, अभी भ्र्ष्टाचार से, भूख से, अशिक्षा से, महामारी से, आतंकवाद से देश को निजात दिलाना है

 प्रतिभा निर्माण (टैलेंट बिल्डिंग) हो या अनुसन्धान (रिसर्च) हमारी गिनती अग्रणी देशों में होने लगी है। सॉफ्टवेयर हो या अन्य टेक्नोलॉजी, चिकित्सा हो या राकेट प्रौद्योगिकी, आत्मनिर्भरता (सेल्फ डिपेंडेंस) से बहुत ऊपर उठ चुके हैं हम!

गूगल, ट्विटर, माइक्रोसॉफ्ट, आईबीएम, एडोबी, सिस्को, इंटेल, डेल, सैनडिस्क, ग्लोबल फाउंड्रीज, नोकिआ , शनेल, ओनली फैंस जैसे लगभग तीस शीर्ष बहुराष्ट्रीय (मल्टीनेशनल )  के सीईओ भारतीय मूल के हैं। इसके अलावा दर्जनों भारतीय कंपनियों ने अपनी वैश्विक उपस्थिति(ग्लोबल प्रजेंस) दर्ज़ कराई  है।

नवप्रवर्तन (इनोवेशन) के क्षेत्र में भी हमारा देश आगे बढ़ रहा है। मनोरंजन के क्षेत्र में भले ही हम ऑस्कर नहीं बटोरते मगर हमारी मसाला फिल्में अच्छा खासा व्यापर कर लाती हैं। मसाले, सूती वस्त्र, चाय, चावल, चीनी के निर्यात में बोलबाला है हमारा।  भारतीय मूल के राजनयिक अमरीका सहित दूसरे देशों  में उच्च प्रसाशनिक पदों पर आसीन राष्ट्र का नाम रौशन कर हैं। आलम ये है कि ब्रितेन के प्रधानमंत्री बनने की रेस में भारतीय मूल का व्यक्ति सबसे आगे चल रहा है। कुल जमा बात इतनी है कि जब इतना कुछ हो गर्व करने और गिनने को तो कोई कैसे एक शब्द में अपनी भावना को व्यक्त करे।

ऐसा भी नहीं देश प्रेम से भरा ह्रदय कमियों को नज़रअंदाज़ कर रहा है, जानता है रास्ता मुश्किल है, अभी हमें बहुत आगे जाना है, अभी अपनी बेटियों को बराबरी का दर्ज़ा दिलाना है, अभी भ्र्ष्टाचार से, भूख से, अशिक्षा से, महामारी से, आतंकवाद से देश को निजात दिलाना है।

ये सब मुद्दे तो हैं ही आगे और भी आएँगे, साथ ही विकास का हमारा सफर भी जारी रहेगा , मगर आज तो वो शब्द ढूंढना है जो मेरे देशप्रेम और देश के प्रति गर्व को बयान कर सके, मेरी खोज तो जारी है, ऐसा कोई एक  शब्द आपके जेहन में है क्या?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here