Friday, November 22, 2024

योग के आयाम: योग का मार्मिक एवं संवेदनात्मक पक्ष — भक्ति

योग का बहुत ही मार्मिक एवं संवेदनात्मक पक्ष है भक्ति, जो न जाने कितने घात प्रतिघातों को सहने के पश्चात फलीभूत होती है। श्रद्धा और विश्वास जिसकी आधारशिला है और परिणीति आत्मानंद की अनुभूति। यह साधक के जीवन में समर्पण की वह अवस्था है जो कब प्रकट हो जाती है  इसका भान उसे भी नहीं होता।

भक्ति ईश्वर और साधक के बीच के आत्मीय संबंधों का प्रकटीकरण है। यह की नहीं जाती बल्कि स्वत: हो जाती है। यह एक सर्वोच्च साधना है जिसमें ईश्वर का सानिध्य प्राप्त होता है और वह व्यवहार में तथा आस पास के परिवेश में परिलक्षित होने लगता है । यह ईश्वर और गुरु के अनुग्रह का प्रतिफल है जिसकी अनुभूति जीवन जीने की कला बन जाती है। किन्तु इसकी उपलब्धि या यों कहें अनुग्रह  न जाने कितने कसौटियों पर कसे जाने के पश्चात  होती है, ठीक वैसे ही जैसे किसी दीवार पर तस्वीर लगाते समय कील को हथौड़े की चोट पहले धीरे धीरे खानी होती है और अंतिम चोट इतनी गहरी कि फिर उसके खिसकने की गुंजाइश ही नहीं होती और तब तस्वीर अपनी जगह ले पाती है:—-

भक्ति अमृत की है धारा

जिसमें डूबा जीवन सारा

भव सागर तब ही पार लगे

जब गुरु बने खेवनहारा।

— सं. योग प्रिया (मीना लाल)

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -

EDITOR'S CHOICE