Tuesday, May 14, 2024
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सरल सहज और भावुक कवि -शैलेंद्र

साजन रे झूठ मत बोलो , खुदा के पास जाना है

 ना हाथी है न घोड़ा है वहाँ पैदल ही जाना है ।

मुकेश की आवाज़, शंकर जयकिशन की धुन,   “तीसरी क़सम” फ़िल्म का यह गीत जितना सहज उतना ही गहन, सीधे साधे शब्दों में गहरे भाव । यही विशेषता रही है महान कवि शैलेंद्र की गीतों की । जहाँ उनके गीतों में सरल निश्छल प्रवाह था वहाँ विरह ,वेदना, कसक गीतों में कोमलता से समा जाती । ऐ मेरे दिल कहीं और चल , यह शाम की तन्हाईया ऐसे में तेरा ग़म , छोटी सी ये ज़िंदगानी , हाय रे  वो दिन क्यूँ आये रे , सुर ना सजे , क्या गाऊँ मैं।

 जीवन भर का फ़लसफ़ा इस गीत में देखें — ज़िन्दगी ख़्वाब है , ख़्वाब में झूठ क्या , और भला सच है क्या । टीस सीधे दिल की गहरायी में उतर जाती है —ओ  जाने वाले हो सके तो लौट के आना ।

 बहन का मनुहार — अब के बरस भेज भैया को बाबुल , सावन में लीजो बुलाय रे ।

 वेदना झकझोर देती है इन गीतों में –कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन, दिल ढल जाए हाय रात ना जाए । पूछो न कैसे मैंने रैन बितायी ।

 कल्पना के सपने, काल्पनिक स्वर्ग की सुखद विवेचना –छोटा सा घर होगा बादलों के छाँह में और दिल का हाल सुने दिल वाला। बेहतरीन सादगी से जीवन के हर पहलू पर। आँसू उमड़ते रहे, आह दिल में उतरती रही , पीड़ा और वेदना कवि हृदय को उद्वेलित करती रही और मुकेश की दर्द भरी आवाज़ संगीत प्रेमियों के दिलों

 में सदा के लिए घर कर गयी।

राज कपूर के साथ शैलेंद्र की पहली मुलाक़ात बहुत दिलचस्प थी। फ़िल्म स्टुडियो के दरबान ने शैलेंद्र को बाहर ही रोक दिया, तेज़ बारिश हो रही थी, अचानक राज कपूर की कार आयी । उन्होंने शीशा नीचे किया और शैलेंद्र ने देखते ही कहा ,” बरसात में तुमसे मिले हम सजन, हमसे मिले तुम ” और इस तरह फ़िल्म जगत में का एक हसीन सफ़र शुरू हो गया गीत, संगीत लय, ताल और जीवन का । ये सफ़र शुरू हुआ फ़िल्म ” बरसात ” के साथ । गीतकार शैलेंद्र ने मर्म स्पर्शी भावों से श्रोताओं के दिल में  गरिमामयी  जगह बना ली।

बरसात के शीर्षक गीत ने बहुत मनमोहक प्रभाव छोड़ा जिसे आज भी राज कपूर की सर्वोत्तम उपलब्धि मानी जाती है । शंकर जयकिशन के मधुर संगीत, लता मंगेशकर की कोयल सी मधुर आवाज़ में शैलेंद्र का गीत स्मरणीय है और संगीत जगत में एक सदाबहार विशिष्ट स्थान लिए हुए है ।

शैलेंद्र ने सब रंग और सब भावों में गीत लिखे प्रेम गीत, लोक गीत, भक्ति गीत, विभाजन के दर्दनाक भाव, जीवन दर्शन और रहस्य वाद के गीत — तू प्यार का सागर है , तेरे एक बूँद के प्यासे हम , जागो मोहन प्यारे हैं। सबसे मधुर वो गीत हैं जिन्हें दर्द के सुर में गया गया है , इक आए इक जाए मुसाफ़िर, दुनिया एक सराय ।

उनके गीतों में जीवन के मूल्य जीवन्त है । उनके बोलों में अमरत्व इतना निष्ठा पूर्ण है कि कलम साथ नहीं देती । उनके बोल —

चंद दिन का बसेरा हमारा यहाँ, हम तो मेहमान थे , घर उस पार था, एक दिन तो बिछड़ना ही था।भले ही उन्हें पद्म श्री, पद्म भूषण आदि सम्मान नहीं मिले , परंतु उनका स्थान कवि जगत और संगीत जगत में सर्वोत्तम है। मानव हृदय के समस्त भाव उनके गीतों में धारा प्रवाह बह निकले ।

डॉ करुणा भल्ला

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Dr. Karuna Bhalla
Dr. Karuna Bhalla
Dr. Karuna Bhalla is an educationist and an author of several books. She is actively involved in social service by helping and teaching those who do not have resources for regular education. Her English poetry book Walk with Roses and Hindi poetry book Aalok have been widely appreciated. Her two other books are in the pipeline. She keeps a keen interest in cooking, for which she takes Inter-Continental classes.

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