बेंगलुरु की सड़कों ने हाल ही में खुले आसमान के नीचे एक आर्ट गैलरी का रूप ले लिया जब गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्डधारी मूर्तिकार कल्याण एस. राठौड़ ने अपनी नवीनतम कृति का अनावरण किया, स्टेनलेस स्टील और कांस्य-रंग की अद्भुत हनुमान प्रतिमा। औद्योगिक डिज़ाइन और गणितीय सटीकता को मिलाने के लिए मशहूर राठौड़ ने इस बार भी लोगों को हैरान कर दिया, इस बार प्रिय देवता की आधुनिक व्याख्या के साथ।

25 अगस्त को कलाकार ने एक वीडियो साझा किया जिसमें लोगों की प्रतिमा को पहली बार देखने पर आई प्रतिक्रियाएं कैद थीं। कोई जिज्ञासु नजरों से देख रहा था, कोई श्रद्धा से सिर झुका रहा था। कई लोग तस्वीरें खींचते और वीडियो रिकॉर्ड करते नज़र आए, तो कुछ ने प्रतिमा के सामने हाथ जोड़कर आशीर्वाद भी मांगा।
“मेरी नई मूर्ति पर लोगों की प्रतिक्रिया बिल्कुल अद्भुत रही,” राठौड़ ने वीडियो साझा करते हुए लिखा।
वीडियो तेजी से वायरल हो गया और सोशल मीडिया पर प्रशंसा की बाढ़ आ गई। किसी ने डिजाइन की तुलना “ट्रांसफॉर्मर्स पवनपुत्र वर्ज़न” से की, तो किसी ने इसे “हमारा सुपरमैन” कहा। कई भक्तों ने लिखा कि राठौड़ की कला से उन्हें हनुमानजी का दर्शन मिला। एक टिप्पणी में लिखा गया, “यह मुझे उस समय की याद दिलाता है जब सुंदर्कांड में हनुमानजी ने रावण की लंका जलाई थी।”
अन्य लोगों ने राठौड़ की कला की सराहना करते हुए लिखा कि “ऐसी मूर्ति वही हाथ बना सकते हैं जो ईश्वर जितने पवित्र हों।” कई लोगों के लिए मंगलवार को हुई यह प्रस्तुति जो हनुमानजी का दिन माना जाता है — किसी दिव्य संकेत जैसी लगी।
राठौड़ प्रशंसा से अनजान नहीं हैं। विज्ञान स्नातक और औद्योगिक डिज़ाइन में औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके राठौड़ ने दुनिया की सबसे ऊँची फ़ोटोग्राफ़-मूर्ति बनाकर गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड हासिल किया है। जीवविज्ञान और ज्यामिति से प्रेरणा लेकर उन्होंने अपनी कला को एक विशिष्ट पहचान दी है। उनकी मूर्तियों को भारत, सिंगापुर, कनाडा और स्विट्ज़रलैंड में कमीशन किया जा चुका है।
ज्यामिति एक ऐसा माध्यम है जो उन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है। वे वास्तविक निर्माण से पहले कागज़ पर काटने और मोड़ने के द्वारा प्रोटोटाइप बनाते हैं, ताकि हर बारीकी सही तरीके से सुनिश्चित हो सके।
पारंपरिक आध्यात्मिकता और भविष्यवादी डिज़ाइन को जोड़कर राठौड़ ने कला की ऐसी दुनिया गढ़ी है जहाँ पौराणिकता आधुनिकता से मिलती है। उनकी नवीनतम हनुमान प्रतिमा ने न केवल बेंगलुरु को मोहित किया बल्कि इस पर भी चर्चा छेड़ दी कि कैसे कला आस्था को नई पीढ़ी के लिए नए रूप में प्रस्तुत कर सकती है।




