अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस (21 फरवरी): बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल वह माँ की ही बोली होती है जिससे शब्द से हमारा परिचय होता है। ध्वनि और अर्थ को परस्पर जोड़