हालावाद के प्रणेता डॉ० हरिवंश राय ‘बच्चन’ शांत सकी हो अब तक, साकी, पीकर किस उर की ज्वाला, ‘और, और’ की रटन लगाता जाता हर पीनेवाला,
अनुवाद का सतही संवाद आज एक मित्र (यही शब्द ठीक रहेगा) ने शुभ रात्रि कहने के पश्चात मेरे लिए मधु-स्वप्न की भी कामना की।