भारत ने कोरोना से लड़ाई में विश्व के कई देशों को कोरोनारोधी टीका उपलब्ध कराया
तोषी ज्योत्स्ना
भारत कोरोना काल की इस कठिन परिस्थिति में भी वसुधैव कुटुम्बकम की अपनी नीति पर बिल्कुल खरा उतर रहा है। जहां अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देश ख़ुद अपनी समस्याओं से जूझते नज़र आ रहे हैं और चीन जैसे देश इस महामारी को कमाई के अवसर की तरह देख रहे हैं वहीं भारत ख़ुद को सुरक्षित करने की मुहीम के साथ साथ दूसरे देशों की तरफ मदद का हाथ भी मजबूती से बढ़ा रहा है।
एक ओर जहाँ युद्ध स्तर पर देश भर में कोरोनारोधी टीकाकरण अभियान चल रहा है वहीं दूसरी ओर उसी तत्परता से पड़ोसी मुल्कों को इस संकट से उबारने के लिए मदद भी पहुँचा रहा है।
कुल 1.3 बिलियन लोगों को टीका लगाने का लक्ष्य ले कर आगे बढ़ा है भारत। जिसके तहत 16 जनवरी से शुरू किये गए इस अभियान में स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार 23 जनवरी तक 15.82 लाख लोगों को टीका लगाया जा चुका है।जुलाई तक 300 मिलियन लोगों को कोरोनारोधी टीका लगाए जाने की संभावना है।इस मुहीम को सुचारू रूप से चलाने के लिए दो लाख टीका लगाने वालों को प्रशिक्षण दिया गया है।टीकों के रखरखाव के लिए 29 हज़ार कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था की गई है।करीब 3 लाख 70 हज़ार टीकाकरण सहायक दल के सदस्यों के साथ भारत आज विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान का आगाज़ कर चुका है।
अपने टीका मैत्री अभियान के तहत भूटान, बांग्लादेश,नेपाल, म्यांमार, ब्राज़ील, मालदीव, मोरोक्को, सेशल्स आदि देशों में उपहार स्वरूप भारत के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा बनाये गए इस कोरोनारोधी टीका जिसका नाम कोवीशिल्ड रक्खा गया है, भेजा है। भारत अब तक प्रायः सभी सार्क देशों में मुफ्त टीके उपहार स्वरूप भेज चुका है।जिसमे क्रमशः 1.5 लाख टीके भूटान को,1 लाख टीके मालदीव को, 10 लाख टीके नेपाल को तथा 20 लाख टीके बांग्लादेश को,15 लाख टीके म्यांमार को, सेशेल्स को 50 हज़ार टीके तथा मॉरिशस को 1.5 लाख टीके भेजे गए हैं। इन कोरोनारोधी टीकों की अगली खेप श्रीलंका और अफगानिस्तान को जल्द ही भेजी जाएगी। भारत कुल मिला कर 1 करोड़ कोविशिल्ड वैक्सीन अपने पड़ोसी मुल्कों को वैक्सीन मैत्री कार्यक्रम के तहत देने को प्रतिबद्ध है।यहाँ गौरतलब यह है कि भारत को पूरे विश्व का दवाखाना कहा जाता है।
भारत द्वारा बनाये गए इस स्वदेशी टीके पर सम्पूर्ण विश्व की नज़र है क्योंकि भारत में बना यह टीका सुरक्षित और बेहद किफायती है। इसकी बिक्री से देश को भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा की आमदनी होने की संभावना है।वैश्विक मंदी के इस दौर में जब महाशक्तियाँ इस विषाणु से लोहा लेने में जुटी हैं, भारत ने इस प्रतिकूल परिस्थिति में भी विकास का अवसर तलाश लिया। कोरोनारोधी टीके की बिक्री की इसी कड़ी में सबसे पहले क्रमशः 2-2 लाख टीके ब्राज़ील और मोरोक्को ने खरीदे।ब्रिटेन और बेल्जियम ने भी वैक्सीन की खरीद में दिलचस्पी दिखाई है। डोमिनिका नामक देश ने प्रधामनंत्री को वैक्सीन सहायता के लिए पत्र लिख भेजा है। विकासशील देश जैसे सऊदी अरब, केन्या,नाइजीरिया आदि देश भी भारत की तरफ उम्मीद की नज़रों से देख रहे हैं।
भारत की इस मैत्रीपूर्ण सहायता को सराहते हुए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के महानिदेशक डॉक्टर टेड्रोस अदनोम घेब्रेयेसस ने कहा है कि भारत प्रतिबद्धता पूर्वक कोविड के विरुद्ध लड़ाई में जुटा हुआ है और विश्व के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता के रूप में वो ऐसा करने में सक्षम भी है। डॉक्टर टेड्रोस के अलावा बिल गेट्स, बांग्लादेश की शेख़ हसीना, नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली,मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहीम सोली आदि नेताओं ने भारत के प्रति आभार व्यक्त किया है।
भूटान के प्रधानमंत्री लोटे सेरिंग ने भारत की इस चेष्टा को महान बताते हुए कहा कि अपनी जरूरतों को पूरा करने से पूर्व अपनी अमूल्य निधि को दूसरों के साथ साझा करना आज के परिपेक्ष्य में अकल्पनीय है और भारत ने यह कर दिखाया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत अपनी दो मेड इन इंडिया टीकों के साथ मानवता की सेवा के लिए प्रतिबद्ध है। ध्यातव्य है इस कोरोना काल में भारत ने बढ़ चढ़ कर दूसरे देशों की मदद की है कोरोना की दवा, पीपीई किट, वेंटिलेटर,मास्क, सैनिटाइजर तो निर्यातित हो ही रहे थे अब इस सूची में कोरोनारोधी वैक्सीन भी शामिल हो गया है।