Saturday, November 23, 2024

प्रतिदिन का योगाभ्यास और ध्यान

जो शरीर जीवन भर साथ निभाता है , उसकी देखभाल के लिए हम क्या करते हैं, कितना समय देते हैं , ये सोचना आवश्यक है । काम हमारे पास ढेरों होंगे लेकिन अपने शरीर का ख़याल रखना एक सबसे महत्वपूर्ण काम है।

ये ज़रूरी नहीं की जब तक हम प्रतिदिन डेढ़ – दो घंटे योगाभ्यास ना करें , हमें उसके फ़ायदे नहीं मिलेंगे । ध्यान ये रहे की सिर्फ़ २० मिनट का योगाभ्यास उन लोगों के लिए बहुत पर्याप्त होगा जो समय से सोते हैं , उचित मात्रा में भोजन ग्रहण करते हैं , काम करते हुए भी आधे – एक घंटे पर उठते रहते हैं , और चलते फिरते रहते हैं ।

शरीर को सुबह सुबह अपनी दिनचर्या के लिए तैयार करना आवश्यक होता है । रात्रि के विश्राम के पश्चात् सुबह की भागदौड़ के लिए अगर हम एक नियम के तहत रोज़ अपने शरीर को प्रेम से दिनभर के काम के लिए , तरोताज़ा रखने के लिए तैयार करें तो इससे अच्छी कोई बात नहीं हो सकती । जो शरीर जीवन भर साथ निभाता है , उसकी देखभाल के लिए हम क्या करते हैं , कितना समय देते हैं , ये सोचना आवश्यक है । काम हमारे पास ढेरों होंगे लेकिन अपने शरीर का ख़याल रखना एक सबसे महत्वपूर्ण काम है।

अब ज़रा इस पर ग़ौर करते हैं की इस २० मिनट में हम क्या – क्या कर सकते हैं ।
1. ताड़ासन , तीर्यक ताड़ासन और कटिचक्रासन ५-५ बार करने से मेरुदंड में पर्याप्त मोड़ दिया जाता है और इससे शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है।

2. तत्पश्चात् सूर्य नमस्कार की कम से कम तीन और अगर समय हो तो पाँच आवृत्तियाँ की जानी चाहिए। सूर्य नमस्कार अपने आप में अनेकों आसनों का मिश्रण का है और जिसके द्वारा शरीर के सभी अंदरूनी और बाहरी अंगों पर सुंदर प्रभाव पड़ता है।

3. इसके उपरांत नाड़ी शोधन प्राणायाम ( alternate nostril breathing ) किया जाना चाहिए । पूरे स्नायु तंत्र के लिए यह बहुत ही उत्तम सिद्ध होता है । श्वास- प्रश्वास पर नियंत्रण से हम जीवन में बहुत कुछ साध सकते हैं।

   

4. भ्रामरी की तीन आवृत्तियों के साथ मस्तिष्क बिलकुल सजग और शांत हो कर पूरे दिन की चुनौतियों का आराम से सामना करने को तैयार हो जाता है ।

अब इन २० मिनटों का असर ये होता है की आप पूरे दिन बिलकुल शांति से , तरोताज़ा महसूस करते हुए अपना पूरा दिन जम कर काम करते हुए बिताते हैं । योग उन अभ्यासों की तरह नहीं है जो सिर्फ़ शरीर पर सकारात्मक प्रभाव डालता है , यह मन के लिए भी उतना ही अच्छा और प्रभावशाली होता है । जब तक अपनी सोच सकारात्मक नहीं होती तब तक स्वस्थ शरीर से ही हर कुछ प्राप्त नहीं किया जा सकता।

जो शरीर जीवन भर साथ निभाता है , उसकी देखभाल के लिए हम क्या करते हैं , कितना समय देते हैं , ये सोचना आवश्यक है । काम हमारे पास ढेरों होंगे लेकिन अपने शरीर का ख़याल रखना एक सबसे महत्वपूर्ण काम है।

दिन भर अपने कार्य सम्पन्न करने के बाद स्वयं के साथ समय बिताना भी बहुत आवश्यक है । पूरे दिन हमने क्या किया और हम बेहतर क्या कुछ कर सकते हैं , पर विचार करना अनिवार्य होता होता है । अगर हम २० मिनट का ध्यान ( meditation) करते हैं तो ये सोने पे सुहागा हो जाता है।
ध्यान का अर्थ ज़्यादातर लोग – concentration समझते हैं परंतु ये वो प्रक्रिया है जहां आप स्वयं के मन में उठने वाले तमाम अच्छे बुरे विचार , सवाल , परेशानी , विरोधाभास आदि को एक द्रष्टा की भाँति देखते हैं , वैसे ही जैसे हम आसमान में बादलों को गुज़रते देखते हैं पर आसमान वहीं का वहीं रहता है । ध्यान के कई आयाम हैं। योगी से लेकर गृहस्थ तक , सब के लिए ध्यान एक जादू से कम नहीं ! अगर बच्चों और युवा वर्ग द्वारा यह साध लिया जाए तो परीक्षा के समय के डर , रिश्तों के बनने – टूटने के भय , दोस्तों की तरफ़ से होने वाले दबाव आदि से बहुत ही आसानी से बचा जा सकता है । ध्यान आपके अंदर की सृजनात्मकता को पूरी तरह से उभारता है । आपके अंदर का कलाकार , वैज्ञानिक , सृजनकर्ता , समालोचक उभर कर सामने आता है और आप स्वयं को चकित कर सकते हैं ! आपकी बुद्धि में एक तीक्ष्णता आती है , जो उन तमाम बंद द्वारों को खोलती है जिसका पता आपको पहले था ही नहीं और आप स्वयं पर आश्चर्य करते हैं – आप कुछ अप्रतिम सोच सकते हैं !

आज जिस तरह से व्यक्ति विशेष की मनोवैज्ञानिक स्थिति छोटी छोटी बातों से डावाँडोल होती दिखती है , उस सब पर हम ध्यान के द्वारा पूर्ण नियंत्रण पा सकते हैं। एक ही ध्यान हमें दुनियादारी निभाने के साथ साथ समाधि की अवस्था तक के कर जाती है ।

सरल होना अत्यंत कठिन है तभी आमतौर पर हम दवा , डॉक्टर , मनोवैज्ञानिक और ना जाने कहाँ कहाँ समाधान के लिए भागते दौड़ते रहते हैं , परंतु एक सरल योगिक जीवनचर्या से भागते हैं , अजीब विडम्बना है । स्वयं से प्रेम होना आवश्यक है तभी हम घर – परिवार – रिश्तेदार – समाज सब को अपना सबसे बेहतर दे सकेंगे और उस सबके के लिए हमारा स्वस्थ रहना बहुत ज़रूरी है । तो स्वयं से प्रश्न कीजिए की क्या आप २४ घंटे में से ४० मिनट अपने आप पर खर्च कर सकते हैं – २० मिनट योगाभ्यास और २० का ध्यान के लिए ??

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