इन सभी सकारात्मक पहलुओं के बावज़ूद ग्लोबल वार्मिंग यानी वैश्विक तापमान और क्लाइमेट चेंज यानी जलवायु परिवर्तन की समस्या दिनोंदिन गहराती जा रही है
प्रकृति के बदलते स्वरूप की चर्चा आजकल बहुत जोरों पर है। आमतौर पर कहें तो चाय पर चर्चा का ख़ास विषय! कोरोना और कोरोना जन्य परिस्थितियों ने प्राकृतिक परिस्थिति और पारिस्थितिकी में बहुत उल्लेखनीय परिवर्तन के संकेत दिए हैं, मसलन प्रदूषण के आंकड़ों में गिरावट, देश भर में औसत और सामयिक बारिश, वन्य जीवन मे बढ़ोत्तरी आदि। इन सभी सकारात्मक पहलुओं के बावज़ूद ग्लोबल वार्मिंग यानी वैश्विक तापमान और क्लाइमेट चेंज यानी जलवायु परिवर्तन की समस्या दिनोंदिन गहराती जा रही है।
जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग का असर आम जनजीवन में खूब देखने को मिल रहा है।
आज के बच्चे मौसम के हिसाब से “सावन का महीना पवन करे शोर” से कम ही रिलेट कर पाते हैं और “फूले कास सरद ऋतु आई” की बात तो जाने ही दीजिए क्योंकि अब “सावन” सावन के महीने में नही आता और कास भी गर्मी में फूलने लगे हैं। बीते कुछ बरसों में कभी पहाड़ों में बादलों का फटना, तो कभी भीषण बाढ़ , समुद्री इलाकों में चक्रवात और तूफानों की संख्या में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी, ये सब ग्लोबल वार्मिंग के ख़ामियाजे हैं जो समूचा विश्व भुगतने को मजबूर है। कारण और निवारण की चर्चा न करते हुए ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी एक अनोखी ख़बर यह है कि विश्व को अपना पहला “जलवायु परिवर्तन रोग ” से ग्रस्त रोगी मिल गया है। जी हां! कनाडा की 70 वर्षीय महिला को चिकित्सकों ने जलवायु परिवर्तन रोग से ग्रस्त बताया है और उनका इलाज बाकायदा अस्पताल में किया जा रहा है।
दरअसल यह बुजुर्ग महिला अभी हाल ही में कनाडा और अमेरिका के कुछ भागों में आये रेकॉर्ड तोड़ हीट वेव का शिकार होकर गंभीर रूप से बीमार हो गई। कूटनी लेक हॉस्पिटल के डॉक्टर काइल मेरिट का कहना है कि लू लग जाने की वजह से मरीज़ को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है तथा उनको हाइड्रेट यानी जलयोजित रखना बहुत मुश्किल हो रहा है। उनके शरीर मे जल की भयंकर कमी हो गई है। यहां विचारणीय संदर्भ यह नही है कि महिला को लू लग गई ।
आज जिस खबर को हम अनूठी मान कर सुर्खियों में जगह दे रहे हैं वो खबर रोज़मर्रा का हिस्सा बन हमारे सामान्य जीवन को तहसनहस कर डालेगी
हमारे जैसे जलवायु वाले देशों में गर्मियों में लू चलना और लू लगना एक सामान्य घटना है लेकिन कनाडा जैसे देश में जहां सालों भर लगभग बर्फ से भरा मौसम ही रहता है वहां लू की चपेट में आकर लोगों का ऐसे बीमार हो जाना यह एक विचारणीय संदर्भ है। जलवायु परिवर्तन रोग से ग्रसिर मान लिया जाना यह विचारणीय संदर्भ है।
जिस तरह से ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज वैश्विक मौसम को प्रभावित कर रहे हैं अगर हम अब भी नहीं चेते तो हमारी ही ग़लतियों का खामियाजा हम नही तो हमारी अगली पीढ़ी निस्संदेह भुगतेगी और आज जिस खबर को हम अनूठी मान कर सुर्खियों में जगह दे रहे हैं वो खबर रोज़मर्रा का हिस्सा बन हमारे सामान्य जीवन को तहसनहस कर डालेगी।
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