Monday, December 23, 2024

कैंसर को रोकने की चुनौती

डॉ. जीतेन्द्र कुमार सिंह

15 लाख कैंसर के रोगी प्रतिवर्ष अपने देश में जमा हो रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि जिन देशों ने जिन्होंने सकारात्मक सोच अपनाया है वहां कैंसर की मरीजों में केवल कमी ही नहीं आई बल्कि मृत्युदर में भी काफी गिरावट आई है। भारत में इन चीजों को अपनाकर और अपनी सोच में परिवर्तन लाकर हम सभी इसमें काफी हद तक कमी ला सकते हैं।

कैंसर हमारे देश में बहुत तेजी से बढ़ रहा है। यदि इसे रोका ना गया तो आने वाले समय में स्वास्थ्य सेक्टर में सारी बीमारियां पीछे चली जायेगी और कैंसर देश के सामनेसबसे बड़ी चुनौती होगी। आने वाले समय में प्रत्येक 10 में से एक व्यक्ति को कैंसर होना ही है यदि यही स्थिति रही तो। इसे कैसे रोका जाए, यह एक बहुत बड़ी चुनौती है।क्योंकि 15 लाख कैंसर के रोगी प्रतिवर्ष अपने देश में जमा हो रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि जिन देशों ने जिन्होंने सकारात्मक सोच अपनाया है वहां कैंसर की मरीजों में केवल कमी ही नहीं आई बल्कि मृत्युदर में भी काफी गिरावट आई है। भारत में इन चीजों को अपनाकर और अपनी सोच में परिवर्तन लाकर हम सभी इसमें काफी हद तक कमी ला सकते हैं। जो सामने बाधएं अपने देश में आ रही है, वह है- बेताहाशा बढ़ती आबादी, शिक्षा की कमी, लोगों में गलत धारणा, इस बीमारी से डर, सकारात्मक सोच की कमी, देश की बहुत बड़ी संख्या का आर्थिक दृष्टि से कमजोर होना। ये वो चीजें हैं जो इस बीमारी को खत्म करने में बहुत बड़ी बाधाएं हैं।

पहले हमें ये समझने की ज़रूरत है कि कैंसर शुरुआती दौर में कभी कोई तकलीफ नहीं देता है। जब तकलीफ बढ़ती है और हम डॉक्टर के पास जाते हैं तो उस समय तकबीमारी काफी बढ़ चुकी होती है। यदि हमें इसे रोकना है तो बहुत जरूरी है कि हम लोगों की सोच को बदलें और उन्हें जागरूक करें, बीमारी को प्रारंभिक अवस्था में पकड़नेहेतु लोगों को जांच के लिए प्रोत्साहित करें, तम्बाकू का प्रयोग बंद करें, अपनी दिनचर्या में उन चीजों को शामिल करें जो कैंसर बीमारी को कम करती है और अंत मेंजीवनशैली में बदलाव लायें। यह मूल मंत्र है। लोगों में जागरूकता लाना, बीमारी को शुरुआती दौर में ही पकड़ के इलाज यथाशीघ्र शुरू करना, कम से कम वर्ष में एक बारसभी लोगों को अपनी पूरी जांच हेतु प्रोत्साहित करना, ये सभी चीजों को शामिल करते हुए हम काफी हद तक इस बिमारी पर काबू पा सकते हैं।

 जानें, कैंसर क्या है?

हमारा शरीर अनेक प्रकार की कोशिकाओं से बना होता है। आमतौर पर ये कोशिकाएं नियमित और नियंत्रित तरीके से विभाजित होती रहती है। किन्तु जब किसी कारणसे कोशिकाओं की विभाजन असामान्य और अनियंत्रित हो जाती है तो यही अतिरिक्त कोशिकाएँ धीरे-धीरे एक गांठ के रूप में जमा हो जाती है और वहीं ट्यूमर (गांठ) का रूपले लेती है जो कुछ समय तक अपनी ही जगह पर रहती है और धीरे-धीरे पूरे शरीर को प्रभावित करता है, जिसे हम कैंसर कहते हैं।

             कैंसर के बढ़ने के ये मुख्य कारण हैं :

ऽ             तम्बाकू या तम्बाकू से बनी पदार्थों का सेवन

ऽ             खाद, कीटनाशक, कार्बाइड एजेण्ट का खाने की वस्तुओं में प्रयोग

ऽ             शरीर में प्रतिरोधक प्रणाली की कमी

ऽ             अनुवांशिक कारणों से

ऽ             आहार में कुछ चीजों की कमी

ऽ             बैक्टीरिया या वाइरस का लगातार प्रहार

ऽ             वर्तमान जीवनशैली

जो सामने बाधएं अपने देश में आ रही है, वह है- बेताहाशा बढ़ती आबादी, शिक्षा की कमी, लोगों में गलत धारणा, इस बीमारी से डर, सकारात्मक सोच की कमी, देश की बहुत बड़ी संख्या का आर्थिक दृष्टि से कमजोर होना। ये वो चीजें हैं जो इस बीमारी को खत्म करने में बहुत बड़ी बाधाएं हैं

             कैंसर में ये मुख्य लक्षण हैं :

(ये ऐसे लक्षण हैं, जिन्हें दिखाई पड़ते ही विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें क्योंकि ये लक्षण शरीर में पनपते कैंसर से भी हो सकते हैं।)

ऽ             पेशाब, थूक, खखार या वलगम में खून का आना।

ऽ             शरीर का वजन लगातार घटने लगना।

ऽ             लंबे समय तक बुखार का आना।

ऽ             शरीर में कोई गांठ या गिल्टी का होना।

ऽ             मुँह के अन्दर में रंग में परिवर्तन या घाव का होना।

ऽ             स्तन में गाँठ का होना एवं बच्चेदानी में असमय खून का श्राव।

ऽ             आवाज में लंबे समय से परिवर्तन।

ऽ             खाना या पानी निगलने में कठिनाई।

ऽ             मस्से में रूप, रंग या आकार में कोई परिवर्तन।

ऽ             शौच या पेशाब की आदतों में परिवर्तन।

 

             कैंसर से बचाव का सबसे कारगार उपाय :

(हम अपने जीवनशैली में कुछ बदलाव लाकर कैंसर को देश में काफी कम कर सकते हैं।)

ऽ             तम्बाकू या तम्बाकू से बनी सामानों का उपयोग नहीं करना। यह 40ः कैंसर को होने से रोक देना।

ऽ             फास्ट फूड या डब्बा बन्द खाने से परहेज करना।

ऽ             तली-भुनी एवं मसालेदार भोजन से परहेज करना। अधिक चर्बीदार भोजन नहीं करना।

ऽ             रासायनिक खाद एवं कीटनाशक दवाइयों का कम से कम प्रयोग।

ऽ             स्वच्छ पानी एवं पौष्टिक खाने को आहार में शामिल करना।

ऽ             घर में सफाई पर पूरा ध्यान देना।

ऽ             जीवनशैली में सकारात्मक सोच, योगा, ध्यान (मैडिटेशन) को शामिल करना।

ऽ             कैंसर की एक वैक्सीन भ्च्ट बन चुकी है और कई तरह के वैक्सीन आने वाली है। इनको अवश्य लेना है।

ऽ             इंफेक्शन से यथासंभव बचना।

ऽ             अपनी पूरी जाँच साल में एक बार विशेषज्ञ से अवश्य करवा लें। यदि रोग अपनी प्रारंभिक अवस्था में होगी तो भी जांच में पकड़ आ जायेगी।

ऽ             जितनी जल्दी रोग का पता चले, सही इलाज से उसे पूरी तरह से खत्म कर दिया जा सकता है। कैंसर के इलाज में देरी बीमारी को काफी जटिल बना देती है।

 

             कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जो कैंसर के रोकथाम में कुछ हद तक मदद करते हैं और वो हैं : अश्वगंधा, आँवला, हल्दी, फूलगोभी, पत्तागोभी, ब्रोकोली, गाजर, लहसुन, अंगूर, प्याज, पालक, ग्रीन टी, टमाटर, अलसी का बीज, सोयाबीन इत्यादि।

 

             इन बातों को ध्यान में रखने की जरूरत है कि हमारे देश ने जागरूकता और जानकारी की कमी के चलते, कैंसर से प्रभावित मरीज जो अस्पताल में आते हैं, 85ःको कैंसर जकड़ चुका होता है जहाँ इलाज से उनकी जिंदगी बढ़ाई तो जाती है लेकिन बीमारी को पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता है। अपनी पूरी जाँच साल में एक बारविशेषज्ञ से अवश्य करवा लें। यदि रोग अपनी प्रारंभिक अवस्था में होगी तो भी जांच में पकड़ आ जायेगी और उसका पूर्णतः इलाज संभव है।

 

             इलाज के शारीरिक बल के साथ लिए मनोबल भी जरूरी :

कोई शक नहीं कि कैंसर एक गंभीर बीमारी है। इसका नाम सुनते ही व्यक्ति तनाव में आ जाता है। इलाज की प्रक्रिया के दौरान व्यक्ति धैर्य एवं आत्मविश्वास खोनेलगता है। ऐसे में इलाज के समय शारीरिक एवं मानसिक बल देना परिजनों और मित्र का दायित्व बनता है। इलाज के दौरान इन चीजों का हमेशा ध्यान रखें :

ऽ             मरीज और उनके परिजन बीमारी को स्वीकार करें।

ऽ             मरीज को बातों से निराश नहीं करें बल्कि मुस्कुराहट दें।

ऽ             मरीज के उम्र के अनुसार उनको समझाएं।

ऽ             मिलने से पहले मरीज से अनुमति लें।

— साभार हॉटलाइन

************************************************************************

Readers

These are extraordinary times. All of us have to rely on high-impact, trustworthy journalism. And this is especially true of the Indian Diaspora. Members of the Indian community overseas cannot be fed with inaccurate news.

Pravasi Samwad is a venture that has no shareholders. It is the result of an impassioned initiative of a handful of Indian journalists spread around the world.  We have taken the small step forward with the pledge to provide news with accuracy, free from political and commercial influence. Our aim is to keep you, our readers, informed about developments at ‘home’ and across the world that affect you.

Please help us to keep our journalism independent and free.

In these difficult times, to run a news website requires finances. While every contribution, big or small, will makes a difference, we request our readers to put us in touch with advertisers worldwide. It will be a great help.

For more information: pravasisamwad00@gmail.com

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -

EDITOR'S CHOICE