कोका कोला: बिन पानी सब सून - pravasisamwad
June 23, 2021
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कोका कोला: बिन पानी सब सून

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अभी हाल ही में कोका कोला कंपनी ने एक सुपरस्टार फुटबॉल खिलाड़ी के महज कोकाकोला की बोतल को कैमरे के फ्रेम से बाहर कर देने मात्र से, एक ही झटके में चार बिलियन डॉलर गँवा दिये। बात बहुत छोटी सी है किसी ने कोकाकोला की बोतल को परे कर पानी की बोतल उठा ली। लेकिन इसके पीछे की बात बहुत बड़ी है। इसके पीछे है लाखों करोड़ों लोगों का विश्वास, लाखों लोगों की अपने आराध्य (आराध्य इसलिए क्योंकि कहा जाता है कि फुटबॉल इज़ अ रीलिजन और फुटबॉल के सुपर स्टार उनके आइडल) के प्रति वफादारी और प्रतिबद्धता।

सेलिब्रिटीज का आम जनमानस पर प्रभाव और अधिकार किसी से छिपा नहीं है और यह सिर्फ आज के दौर की बात नहीं है बल्कि यह चलन बहुत पुराना है। फिल्मों के हीरो सरीखे बाल या कपड़े पुराने जमाने में भी फैशन की दुनिया का ट्रेंड सेटर हुआ करते थे। अभिनेता अभिनेत्री द्वारा इस्तेमाल की गई छोटी से छोटी चीज एकदम हिट हो जाया करती थी। सिलेब्रिटीजका प्रभाव और वर्चस्व समस्त विश्व मे एक समान देखने मे आता है और आज के वैश्वीकरण के दौर में उनका प्रभाव भी वैश्विक ही होता है। हाल ही में क्रिस्टियानों रोनाल्डो ने इसे साबित कर के दिखाया है।

https://twitter.com/zeeniya_b/status/1405081627395432451?s=20

 

इस घटना ने सोचने पर मजबूर कर दिया है कि सार्वजनिक जीवन जीने वाले सिलेब्रिटीज, जिनकी फैन फालोइंग लाखों करोड़ों मे होती है, क्या उनकी अपने चाहने वालों के प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं बनती? क्या थोड़े से आर्थिक लाभ के लिए अपने चाहने वालों को गुमराह करना और हानिकारक पदार्थों का विज्ञापन करना उचित है?

भारतीय परिपेक्ष्य मे देखें तो 2016 में ही नॉन ऐल्कहॉलिक पेयपदार्थों का बाज़ार 37,660 करोड़ का था जिसमे 40 प्रतिशत हिस्सा कार्बोनटेड शीतलपेय पदार्थों का था। विराट कोहली हों या सलमान खान,हृतिक रोशन, रणबीर कपूर हों या सचिन तेंडुलकर सब ने शीर्ष एफएमसीजी कंपनियों के शेतल पेय के कितने ही विज्ञापन किये हैं।

उपभोक्ता की नब्ज पकड़ उसको भुनाने का काम हर एफएमसीजी कंपनी करती है और अपने उत्पादों के विज्ञापन के लिए लाखों करोड़ों दे कर ऐसे चमकते सितारों को अपने उत्पाद इस्तेमाल करते हुए दिखाते हैं । विज्ञापनों के लिए इनकी पहली पसंद शारीरिक तौर पर चुस्त दुरुस्त अभिनेता या खिलाड़ी होते हैं और इसके पीछे की मानसिकता यह होती है कि विश्वस्तरीय खिलाड़ियों की जमात आम तौर पर इस पृथ्वी पर पाए जाने वाले सबसे फिट और स्वस्थ लोग होते हैं और उनके जैसा तंदुरुस्त फुर्तीला और स्वस्थ बनने का सपना करोड़ों लोगों का होता है। ऐसे में रोनाल्डो की ये पहल एक सराहनीय कदम है, हालांकि उन्होंने 2008 में इसी कोकाकोला का विज्ञापन किया था। जिस तथ्य को लेकर आजकल सोशल मीडिया पर उनका मज़ाक भी बन रहा है। कोरोना की विश्वव्यापी आपदा के इस समय में, जब मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा आदि सहरुग्णता यानी को-मोरबिडिटी और भी जानलेवा साबित हो रही हैं तब रोनाल्डो का यह कदम प्रसंशनीय है।

भारतीय परिपेक्ष्य मे देखें तो 2016 में ही नॉन ऐल्कहॉलिक पेयपदार्थों का बाज़ार 37660 करोड़ का था जिसमे 40 प्रतिशत हिस्सा कार्बोनटेड शीतलपेय पदार्थों का था। विराट कोहली हों या सलमान खान,हृतिक रोशन, रणबीर कपूर हों या सचिन तेंडुलकर सब ने शीर्ष एफएमसीजी कंपनियों के शेतल पेय के कितने ही विज्ञापन किये हैं।

अभिनेता अक्षय कुमार ने सिगरेट,अभिनेता अजयदेवगन ने तंबाकू युक्त गुटके का विज्ञापन भी किया है। अब समय आ गया है कि रोनाल्डो की तरह दूसरे चमकते सितारे भी अपने प्रसंशकों के प्रति  अपनी जिम्मेदारियों को समझें और निजी स्वार्थ के लिए युवाओं, बच्चों और अपने चाहनेवालों को गुमराह ना करें। साथ ही आम जन को भी अंधभक्ति से बचना चाहिए क्योंकि इतिहास में कितने ही चमकते सितारों की कहानियाँ दर्ज़ हैं जहाँ बुरी आदतों ने एक पल में उन्हें अर्श से फर्श पर ला पटका  है। अपने  स्वास्थ्य की बागडोर हमें हमेशा अपने ही हाथ में रखनी चाहिए ताकि अगर कल को कोई आकर कहे कि डर के आगे जीत है तो हम उसकी आँखों में आँखें डाल कर ये कह सकें कि डर के आगे जीत नहीं डायबीटीज़ है मोटापा है!

Toshi Jyotsna

Toshi Jyotsna

(Toshi Jyotsna is an IT professional who keeps a keen interest in writing on contemporary issues both in Hindi and English. She is a columnist, and an award-winning story writer.)

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