“योग परम शक्तिशाली विश्व संस्कृति के रूप में प्रकट होगा और विश्व की घटनाओं को निर्देश देगा।”
ये कथन स्वामी सत्यानंद सरस्वती जी के हैं जिसे उन्होंने अपनी साधना में चेतना की उच्च अवस्था में घटित होते हुए देखा था तथा अपनी परिकल्पना की भविष्यवाणी की थी।
सन २०२०, इस सदी की अप्रत्याशित , अभूतपूर्व घटित घटनाओं का साक्षी बना जिसने सम्पूर्ण विश्व को यह मानने पर बाध्य कर दिया कि इस समस्त ब्रह्माण्ड को संचालित करने वाली कोई पराशक्ति है जिसके समक्ष ज्ञान, विज्ञान किसी की नहीं चली । वह मानव जाति जिसने अपनी तकनीकी आविष्कारों के मद में चूर उस परमसत्ता के अस्तित्व को नकारा था, प्रकृति के इस रूप को देखकर हतप्रभ एवं निष्चेष्ट द्रष्टा बना रहा। वर्तमान युग ऐसा है जिसमें तामसिकता अपनी चरम सीमा पर है और मानवता क्षत – विक्षत। कहावत है “अति सर्वत्र वरजयेत” और शायद इसीलिए प्रकृति ने रुपांतरण की बागडोर स्वयं सम्हाली है।
कोरोना रुपी महामारी ने पूरे विश्व को हिला कर रख दिया, तबाही का ऐसा मंजर न पहले कभी देखा न ही सुना गया। महामारियां अनेकों बार आईं किन्तु मानव जाति ने अपने आप को इतना विवश पहले कभी नहीं पाया। जहां धन – दौलत , मंदिर – मस्जिद , चर्च – गुरूद्वारे , रिश्ते – नाते सब पर पूर्ण विराम लग गया। सब नि:शब्द और लाचार। इस महामारी का ऐसा खौफ पसरा कि सारी दुनिया संज्ञाहीन हो गई ।
कहते हैं जहां समस्या है वहीं समाधान भी है। जब तक कोरोना से बचाव के लिए टीके का अविष्कार नहीं हुआ था, इलाज के विविध उपाय अंधेरे में तीर की भांति चलाए जा रहे थे। ऐसे ही समय कोविड के अन्य प्रोटोकॉल के साथ – साथ योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करने वाले अभ्यासियों ने कुछ अभ्यासों को अपनाया और उन्हें चमत्कारिक परिणाम प्राप्त हुए, जिसमें विश्व के कई देश शामिल हैं । अन्तर में योग की अग्नि विद्यमान थी बस तीली लगाने भर की देर थी। पूरे विश्व में योग की ऐसी लहर उठी कि जन मानस के लिए जीवन दायिनी बन गई।
इनमें कुछ :—
— आसन
— प्राणायाम
— योगनिद्रा तथा
— हठयोग के कुछ अभ्यास
जैसे :—
कुंजल , नेति आदि पर प्रयोग किए गए। कुछ चिकित्सकों ने जो पूरे साल कोविड की ड्यूटी पर तैनात थे, उन्होंने नेति को अपनाकर अपने आप को सुरक्षित रखा। इस प्रयोग में योग की कई विधाओं को सम्मिलित किया गया जैसे :—
— शारीरिक
— मानसिक तथा
— आध्यात्मिक , जैसे :- मंत्रों का उच्चारण , हवन , जाप एवं विविध अनुष्ठान आदि शामिल किए गए । महामारी के कारण सभी संस्थाऐं बंद हैं किन्तु लोगों की जिज्ञासा एवं विश्वास ने वैज्ञानिक तकनीकों के द्वारा online सम्पूर्ण विश्व को दूर रहते हुए भी एक छतरी के नीचे ला खड़ा किया और वह छतरी योग है।
इस पूरी प्रक्रिया में विश्व के प्रथम योग विश्व विद्यालय, बिहार योग विद्यालय, मुंगेर का बड़ा योगदान रहा है, जहां से योग की अविरल धारा वहां के परम आचार्य पद्मभूषण परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती जी के मार्गदर्शन में निरंतर पूरी दुनिया में पहुंचाई जा रही है। जिन्होंने समस्त मानव जाति को योग को जीवन शैली के रूप में अपनी दिनचर्या में शामिल करने का आह्वान किया है ताकि कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी हम अपना संतुलन एवं संयम बनाए रखने में सक्षम हो सकें । हम अपनी अंतर्निहित शक्ति , ऊर्जा को पहचाने, उद्घाटित करें और उसे अपने व्यक्तित्व के विकास का आधार बनावें । अब योग करने की नहीं बल्कि हर पल जीने की कला बन रही है और यही हमारे पूज्यनीय गुरु जी स्वामी निरंजनानंद जी का मानव जाति के लिए संदेश है ।
— सं. योग प्रिया (मीना लाल)