Monday, December 23, 2024

योग के आयाम: विचार – सुविचार

PRAVASISAMWAD.COM

अनुकूल एवं प्रतिकूल परिस्थितियों का महत्व

अनुकूल एवं प्रतिकूल परिस्थितियों का महत्वजीवन की यात्रा में अनुकूल एवं प्रतिकूल दोनों परिस्थितियाँ आती हैं जिसमें पूरी प्रकृति की संलग्नता होती है | न जाने कितने उद्धेश्य निर्धारित किये जाते हैं और उन्हें पूरी करने में अथक परिश्रम करने पड़ते हैं | मंजिल पा जाने की अनुभूति उत्साहवर्धक होती है जो आकाश की ऊँचाइयों को छूने के लिए प्रेरित करती है | पीछे मुड़कर प्रतिकूल परिस्थितियों की स्मृति में उलझना वेदना , संताप एवं कुंठाओं को जन्म देती है जो स्वयं में निहित सामर्थ्य को क्षीण करती है | इनसे बचने की कोशिश विवेकपूर्ण निर्णय है एवं साध्य भी|

Sketch by Kirtika

संवाद

मानव ही सृष्टि का एकमात्र साधन है जो अपनी उर्जा, भावनाओं, विचारों , संवेदनाओं का आदान – प्रदान कर एक स्वस्थ , सकारात्मक वातावरण सौगात स्वरूप दे सकता है| संवाद सकारात्मक हो अथवा नकारात्मक मानव जीवन के लिए दोनो ही वरदान स्वरूप हैं |

अगर संवाद सकारात्मक रहा तो अच्छे वातावरण का निर्माण और अगर नकारात्मक रहा तो मन , मस्तिष्क से उनका निष्कासन , भंडारण नहीं| निर्णय हमें लेना है सुखद भविष्य का निर्माण अथवा विस्फोटक पृष्टभूमि में योगदान ? मोबाइल पर सिर्फ अंगुलियों से उर्जा ही शोषित होती है बाकी सब गौण !!! आइये संवाद को पुनःस्थापित करने का संकल्प लें |

— सं. योगप्रिया

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -

EDITOR'S CHOICE