Thursday, December 19, 2024

10 अप्रैल वर्ल्डहोम्यौपैथी डेपर विशेष: होम्योपैथीके जनक डॉसैमुअल हैनिमैन केजन्मदिन पर श्रद्धांजलि 

  • बीमारी में मीठी गोलियां तो बोलेंगे प्यारी बोलियां

  • होम्योपैथी में शुरू हो चुका है रिसर्च पर ज़बरदस्त कामहोम्योपैथी क्रॉनिक डिजीजके लिये बन रही विश्व की नंबर वन चिकित्सापद्धति

  • अब क्लीनिकल साक्ष्य और रिसर्च पर हो रहा है काम

बच्चे हों या बड़े जब दवाइयां खाने की बात आती है तो सभी के चेहरे पर शिकन आने लगती है। ऐसा इस वजह से होता है क्योंकि कई दवाएंकड़वी लगती हैं। ऐसे में यदि डॉक्टर मीठी मीठी गोलियाँ देते हैं तो न दवाएं खाने कोई भी परहेज़ नहीं करता। जी हां, यही है होम्योपैथी, जिसकाजादू अब दुनिया में खूब चल रहा है। वजह है होम्योपैथी की बिना किसी रिएक्शन के रोग मिटाने की क्षमता। चाहे कितनी भी गंभीर बीमारी होहोम्योपैथी का प्रसार ज़बरदस्त हो चुका है। अब होम्योपैथी एक नई दिशा में चल पड़ी है, यह दिशा है रिसर्च की। जिसके माध्यम से अब मरीजकी बीमारी के लक्षणों के साथ उसकी बीमारी का पुराना इतिहास जानकर उसको जड़ से पूरी तरह मिटाया जा सकता है। अब होम्योपैथी केचिकित्सकों की नई पीढ़ी सिर्फ़ रोगी के कथन पर ही विश्वास नहीं करती है, यह पीढ़ी रोगी की पूरी तरह से रिसर्च करने के बाद ही दवाएँ कीशुरुआत करती है और बीमारी के ठीक होने पर दोबारा रिसर्च करवाती है।

 बीमारी की पूर्ण जानकारी के साथ हो रही रिसर्च

अब होम्योपैथी में कई लाइलाज बीमारियों को लेकर काफ़ी ज़्यादा रिसर्च वर्क चल रहा है। इस रिसर्च में कुछ मरीज़ों की केस हिस्ट्री देखी जारही है। उनकी जांच रिपोर्ट मँगवाई जा रही है। इसके साथ ही इस रिपोर्ट के आधार पर ही उनको दवाएँ दी जा रही हैं। कई मरीज़ों पर रिसर्चकरने के बाद ही जो दवाएँ एकदम सटीक निकलती हैं उनको ही प्रयोग में लाया जाता है।

  लक्षण से ही चलता था काम

होम्योपैथी में कई डॉक्टर सिर्फ़ लक्षणों से ही काम चलाते थे। यह तरीक़ा उन डॉक्टरों के लिए काफ़ी सही था तो जो कि पुरानी चिकित्साप्रणाली पर विश्वास करते थे। अब बीमारियों में भी बदलाव आ चुके हैं और दवाओं का विस्तार भी हो चुका है। इस वजह से ज़रूरी है कि मरीज़की जाँच रिपोर्ट ज़रूर सामने आए। जिससे कि उसी बीमारी का इलाज किया जा सके जो कि मरीज़ को है। सभी  रिपोर्ट,उपचार का रिकॉर्ड केसाथ ही इलाज से पूर्व करायी गयी जांच रिपोर्ट से लेकर रोगमुक्‍त होने तक की जांच रिपोर्ट अनिवार्य रूप से शामिल करें, क्‍योंकि यही रिपोर्ट्सवे सबूत होते हैं जो आप द्वारा किये गये इलाज की सफलता की वैज्ञानिक रूप से पुष्टि करते हैं।

 मरीज़ का सिर्फ बीमारी बताना ही पर्याप्त नहीं है

 होम्‍योपैथी के दम को साइंटिफि‍क कसौटी पर खरा साबित करने के लिए रोगी के दस्‍तावेजों को सबूत के तौर पर रखना ज़रूरी है। सिर्फ रोगीके कथन को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सबूत नहीं माना जा सकता है।

उदाहरण के तौर पर यदि  कई रोगी डॉक्टर के पास किडनी में पथरी की शिकायत लेकर आया, डॉ ने  उसका अल्‍ट्रासाउंड कराया तो पथरी होनेकी पुष्टि हुई, उसका उपचार शुरू किया गया, कुछ दिन बाद आकर रोगी ने कहा कि उसकी पथरी निकल गयी, उसने एक पत्‍थर दिखाते हुए कहाकि यह पेशाब में निकला है। डॉ ने रोगी की दोबारा जांच करायी तो अल्‍ट्रासाउंड रिपोर्ट में देखा कि पथरी नहीं थी, यह एक वैज्ञानिक सबूत हुआ।

 डॉक्यूमेंटेशन करने के बाद जर्नल में भी छपवाए

 ऐसे डॉक्‍यूमेंटेशन को प्रतिष्ठित जर्नल में छपवाने के लिए भी आवेदन करें, इसका लाभ यह होगा कि आपके कार्य को राष्‍ट्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीयस्‍तर पर मान्‍यता मिलेगी, साथ ही चूंकि जर्नल में छपने की इस प्रक्रिया के लिए आपके दावे के दस्‍तावेजों को दूसरे विशेषज्ञों द्वारा अनेक प्रकारकी कसौटी पर परखा जायेगा, जिसके बाद आपकी उपलब्धियों का वह दस्‍तावेज 24 कैरेट सोने जैसा खरा बन चुका होगा।

(डॉ. एचके खरबंदा एक पुरस्कार विजेता होम्योपैथी डॉक्टर हैं। चंडीगढ़ में स्थित, 33 वर्षों से अधिक समय से प्रैक्टिस  कर रहे हैं। वे  पूर्वसहायक प्रोफेसर और वर्तमान में एक वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक हैं। सम्पर्क : +91 9815220735 / drkharbanda1@gmail.com)

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Dr HK Kharbanda
Dr HK Kharbanda
Dr HK Kharbanda is an award winning Homeopathy doctor. Based in Chandigarh, has been practicing for more than 33 years. He is former Assistant Professor and currently a Senior Homeopathic practitioner. He can be reached at +91 9815220735 / email: drkharbanda1@gmail.com

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