Saturday, April 27, 2024
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अमृतसर: अध्यात्म, खानपान और विरासतों का स्वर्णिम शहर

स्वर्णिम इतिहास:

स्वर्ण मंदिर के शहर अमृतसर का इतिहास भी वास्तव में स्वर्णिम है। सिखों के चौथे गुरु, श्री गुरु रामदास जी ने 1577 में इस शहर की स्थापना की थी।तब इसे रामदासपुर के नाम से जाना जाता था। कालांतर में नाम अम्बरसर हुआ और धीरे धीरे अमृतसर बना। अमृत और सर (सरोवर) दो शब्दों से बना है, जिसका अर्थ है अमृत का सरोवर। यहां की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत भारत ही नहीं अपितु समस्त विश्व के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है।अपनी प्राचीन सांस्कृतिक विरासत को संजोए हुए यह शहर धार्मिक आस्था का  प्रमुख स्तम्भ है।

प्रमुख आकर्षण:

अपने अंदर एक से बढ़ के एक ऐतिहासिक इमारतों की धरोहर समेटे इस शहर का सबसे बड़ा आकर्षण है स्वर्णमंदिर या हरमंदिर साहिब।इसके अतिरिक्त भी यहाँ  बहुत सारे पर्यटकीय आकर्षण हैं जैसे हेरिटेज स्ट्रीट, जलियांवाला बाग, गोबिंदगढ़ किला, वाघा बॉर्डर, दुर्गियाना मंदिर, पार्टीशन म्यूज़ियम, पुल कंजरी, साड्डा पिंड, वाल्मीकि तीर्थ स्थल आदि  ऐतिहासिक और धार्मिक आस्था से जुड़े तीर्थ स्थल हैं।हरमंदिर साहिब तो पिछले कई दशकों से आस्था, विश्वास और आध्यात्मिक जुड़ाव का स्थल रहा ही है परंतु पिछले कुछ वर्षों में पंजाब सरकार के पर्यटन और सांस्कृतिक मामलों के विभाग के प्रयासों के फलस्वरूप यह पवित्र शहर आज एक मनोरम दर्शनीय स्थल के रूप में विकसित हुआ है, जहाँ हर आयुवर्ग, रुचि और बजट के पर्यटकों के लिए असीम संभावनाएं हैं। अमृतसर की इन खूबसूरत विरासतों को देख, समझ पाने के लिए कम से कम तीन चार दिन का समय अवश्य लेकर आना चाहिए।

हरमंदिर साहिब या स्वर्ण मंदिर:

दरबार साहिब के नाम से जाना जाने वाला यह गुरुद्वारा,  श्री गुरु रामदास जी द्वारा निर्मित सरोवर के बीचोबीच स्थित है।पवित्र जल में पांव धोने के बाद जब श्री हरमंदिर साहिब जी से निकलता स्वर्णिम प्रकाश श्रद्धालुओं को दूर से दिखाई देता है तब भक्तों का मन अजब हर्षोल्लास से भर जाता है। गुरुद्वारे में चलने वाले अनवरत शबद-कीर्तन पर्यटकों को सहसा ही मंत्रमुग्ध कर जाते हैं। चौबीसों घण्टे लंगर प्रसाद का वितरण और श्रद्धालुओं द्वारा किये जाने वाले सेवा कार्यों का दृश्य अनायास ही मन को उत्साह और भक्ति भावना से भर देता है। गोल्डेन टेम्पल यानी स्वर्ण मंदिर सिखों का सबसे पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है और इसके दर्शन के लिए दुनियाभर से हर धर्म के पर्यटक खिंचे चले आते हैं। यहां मुख्य मंदिर के प्रवेश द्वार पर ही चार भूमिगत गैलरी बनाई गई है जहां पर्यटकों के लिए अत्याधुनिक व्यवस्था के साथ साथ गुरुद्वारे के इतिहास और सिख धर्म की महत्ता और गौरवगाथा से परिपूर्ण चलचित्र दिखाए जाते हैं। गुरुद्वारे और टाउन हॉल को जोड़ता हेरिटेज स्ट्रीट अमृतसर की सुंदरता में चार चांद लगा देता है। हेरिटेज स्ट्रीट ने इस 400 साल पुराने स्थान का कायाकल्प ही कर दिया है।

जलियांवाला बाग:

अमृतसर धार्मिक ही नहीं अपितु देश की आज़ादी और इतिहास के कई दुखद पन्नों को भी अपने भीतर समेटे हुए है।जलियांवाला बाग भी उनमें से एक है।जलियांवाला बाग उन शहीदों का स्मारक है, जो 13 अप्रैल 1919 को इस बाग में शहीद हो गए थे।  स्वर्ण मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित,7 एकड़ में फैले इस बाग में आज़ादी के पहले के कई ढांचे और अवशेष हैं लेकिन मुख्य आकर्षण वह कुआं है जिसमे कूद कर बहुत लोगों ने अपनी जान बचाने की कोशिश की थी। इस बाग की चारदीवारी पर आज भी गोलियों के निशान मौज़ूद हैं जिन्हें देखने आज भी सैलानी देश विदेश से आते हैं।

स्वर्ण मंदिर के शहर अमृतसर का इतिहास भी वास्तव में स्वर्णिम है। सिखों के चौथे गुरु, श्री गुरु रामदास जी ने 1577 में इस शहर की स्थापना की थी।तब इसे रामदासपुर के नाम से जाना जाता था। कालांतर में नाम अम्बरसर हुआ और धीरे धीरे अमृतसर बना। अमृत और सर (सरोवर) दो शब्दों से बना है, जिसका अर्थ है अमृत का सरोवर। यहां की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत भारत ही नहीं अपितु समस्त विश्व के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है।अपनी प्राचीन सांस्कृतिक विरासत को संजोए हुए यह शहर धार्मिक आस्था का  प्रमुख स्तम्भ है।
गोबिंदगढ़ फोर्ट:

18वीं सदी में बना यह सैन्य किला स्वर्ण मंदिर से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह जी की दास्तान बयान करता यह भव्य किला,भी पर्यटकों को बहुत आकर्षित करता है। पिछले कुछ वर्षों में पंजाब सरकार के प्रयासों से यह किला अपने नए नवेले रूप में और भी ज्यादा दर्शनीय हो गया है। किले के इतिहास को बताता  तीन आयामी और सप्त आयामी (थ्री-डी और सेवन-डी) “व्हिस्परिंग वाल्स” नामक लाइट एंड साउंड शो लेजर लाइटों, एनीमेशन और प्रोजेक्टर की मदद से दर्शकों उस काल में पहुंचने की अनुभूति कराता है। किले में संग्रहालय भी है जहां किले के गौरवशाली इतिहास की गवाही देती अनगिनत वस्तुओं का संग्रह देखने को मिलता है।

वाघा (अटारी) बॉर्डर:

आप अमृतसर जाएं और वाघा बॉर्डर न देखें तो आपकी यात्रा पूर्ण नहीं मानी जा सकती।अमृतसर से 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है वाघा (अटारी ) बॉर्डर। यहां आने के लिए आसानी से टैक्सी सेवा उपलब्ध है। रोज़ सूर्यास्त के समय हज़ारों भारतीय और विदेशी ‘बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी’ देखने के लिए सरहद के दोनों तरफ़ इकट्ठा होते हैं। दोनों देशों के झंडे समारोह पूर्वक उतारे जाते हैं। लंबे ऊंचे जवानों के कदमताल की लयबद्ध ध्वनि आपके हृदय को गर्व से भर देगी।एक अजब नज़ारा होता है जब दोनों देशों के सिपाही एक दूसरे से हाथ मिलाते हैं।इस अवसर पर देशभक्ति से ओतप्रोत गाने,सेना के बैंड का वादन, सैनिकों की परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रम, उत्साहवर्धक नारे और दर्शकों का उत्साह देखते ही बनता है।

दुर्गियाना मंदिर:

इस मंदिर का वास्तुशिल्प बिल्कुल स्वर्णमंदिर के आधार पर सरोवर के बीच बना हुआ है। 20वीं शताब्दी में बने इस मंदिर की आधारशिला पंडित मदनमोहन मालवीय ने रखी थी। देवी दुर्गा का यह मंदिर आस्था और विश्वास का प्रतीक है। इस मंदिर को लक्ष्मी नारायण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

पार्टीशन म्यूज़ियम (विभाजन संग्रहालय):

शहर के टाउन हॉल में बना यह संग्रहालय प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है।अपनों से बिछड़ने के दर्द की अनगिनत कहानियों को संजोने के लिए यहां विश्व का पहला विभाजन संग्रहालय यानी पार्टीशन म्यूज़ियम बनाया गया है। इस में विभाजन से संबंधित दस्तावेज, कलात्मक अभिव्यक्ति, विभाजन काल के लोगों द्वारा दिया गया मौखिक इतिहास, उस काल की वस्तुओं को सहेज कर रखा गया है।1947 में विभाजनोपरांत लापता और प्रभावित लोगों के स्मारक के रूप में इसकी स्थापना की गई है। भारत पाकिस्तान विभाजन के दौरान करीब 18 मिलियन लोग विस्थापित हुए थे ।

अन्य आकर्षण:

इसके अतिरिक्त अगर आपको वास्तुशिल्प में दिलचस्पी हो तो अमृतसर का ख़ालसा कॉलेज आपको बहुत पसंद आएगा। शाहरुख खान की प्रसिद्ध फ़िल्म वीरज़ारा का फिल्मांकन भी यहीं किया गया था।

अगर पंजाब के पिंड यानी गांव की झलक लेनी हो तो अमृतसर के साड्डा पिंड जरूर जाएँ। पंजाब की संस्कृति, खानपान, रहनसहन सबका बड़ा ही खूबसूरत नज़ारा मिलता है। गिद्दा, किकली, झूमर, भांगड़ा करते युवक युवतियों से लेकर लस्सी बनाती औरतें। सुंदर स्थानीय हस्तशिल्प का काम और स्वादिष्ट भोजन यहां सब कुछ उपलब्ध है।

ओल्ड सिटी बाजार में आपको न सिर्फ पंजाब की पारंपरिक फुलकारी कढ़ाई वाले कपड़े, मनमोहक जुत्तियाँ, नक्काशीदार ज़ेवर, पापड़-वड़ियाँ और हैंडीक्राफ्ट के आकर्षक नमूने मिलेंगे बल्कि बाजार के इर्दगिर्द बने ओल्ड अमृतसर की धरोहर स्वरूप इमारतें और हवेलियां अपने इतिहास की कहानियां सुनाती मिलेंगी।इसके अलावा हॉल बाजार, कटरा जयमल सिंह, गुरु बाजार आदि भी पर्यटकों को खूब लुभाते हैं।

पुल कंजरी महाराजा रणजीत सिंह द्वारा निर्मित विरासत स्थल अमृतसर से 35 किलोमीटर की दूरी पर धनोआ कलां नामक गाँव के पास स्थित है। यह भारत पाकिस्तान की सीमा से सटा हुआ है।

भगवान वाल्मीकि तीर्थ स्थल हिन्दू आस्था से जुड़ा स्थल है।अमृतसर से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भगवान वाल्मीकि तीर्थ स्थल में वाल्मीकि जी की 8 फुट ऊंची सोने की प्रतिमा बनाई गई है। कहा जाता है कि रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का आश्रम यही है।

जिन हाथों ने ताज़महल बनाया उन्ही हाथों ने सराय अमानत खान को भी बनाया था। जी हाँ अमानत खान शिराज़ी ने अपने बड़े भाई की याद में ख़ुद अपने हाथों से बनाई थी यह सराय।अमृतसर से 29 किलोमीटर की दूरी पर बना स्थापत्य कला का यह बेहतरीन नमूना एक और पर्यटन का आकर्षण केंद्र है।

खान-पान की राजधानी:

देश भर में जगह जगह पांच सितारा होटलों से लेकर स्ट्रीट फूड तक अमृतसरी नान-कुलचे परोसे और खाये जाते हैं तो असल अमृतसर जाकर कोई उनका लुत्फ़ न उठाये ये कैसे सम्भव है। पंजाब का “फ़ूड कैपिटल” कहे जाने वाले अमृतसर शहर का खान-पान भी अमृत सरीखा ही है। एक बार कोई यहां गरमा गरम सरसों का साग और मक्के की रोटी और मक्खन का स्वाद चख ले तो उसे भूल नहीं सकता।  यहां के तंदूरी चिकन, अमृतसरी मछली, छोले भटूरे लाजवाब होते हैं। यहां की मलाई लस्सी की बात किये बिना अमृतसरी खानपान की बात अधूरी रह जाएगी। हाथ भर ऊंचे मलाईदार लस्सी से भरे गिलास पीने वालों की आत्मा तक को तर कर देने की क्षमता रखते हैं।

कैसे पहुंचे-कहाँ रहें?:

पंजाब का यह शहर यातायात के सभी साधनों की पहुंच में है।यहां एक अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा भी मौजूद है, श्री गुरु रामदास जी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा जो सिटी सेंटर से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रेलगाड़ी और बस द्वारा भी अमृतसर पूरे देश से जुड़ा हुआ है। सरकारी बसों से लेकर लग्ज़री बसों तक की सेवा हर समय उपलब्ध है। राजधानी दिल्ली समेत आसपास के शहरों से पर्यटकों के लिए टैक्सी की भी पर्याप्त सुविधा उपलब्ध है।

अमृतसर की यात्रा को अविस्मरणीय तथा आरामदेह बनाने के लिए पंजाब सरकार द्वारा हर बजट के पर्यटकों के लिए समुचित व्यवस्था की गई है। एक ओर जहां ताज स्वर्णा, हॉलिडे इन्, रीजेंटा सेंट्रल और हयात रीजेंसी जैसे पांच सितारा होटल हैं वहीं कम बजट में अच्छे और सस्ते होटल भी मौजूद हैं। पंजाब टूरिज्म की वेबसाइट पर उनके द्वारा प्रमाणित होटलों की सम्पूर्ण सूची, संबंधित जानकारियों समेत दी गई है। इसके अलावा वेबसाइट पर यात्रा संबंधित सूचना और यात्रा दिग्दर्शन यानी ट्रेवल गाइड भी उपलब्ध है।

Toshi Jyotsna
Toshi Jyotsna
(Toshi Jyotsna is an IT professional who keeps a keen interest in writing on contemporary issues both in Hindi and English. She is a columnist, and an award-winning story writer.)

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