न्यूज़ीलैंड पार्लियामेंट में भारतीय महिलायें - pravasisamwad
December 26, 2025
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न्यूज़ीलैंड पार्लियामेंट में भारतीय महिलायें

न्यूज़ीलैंड वो देश है जहां दुनिया भर में सबसे पहले महिलाओं को मतदान का अधिकार मिला था. महिलाओं को अधिकार, सुविधाएं, समानता मिली हुई जहां सचमुच नज़र आती है. जहां वे बेख़ौफ़ हो कर हर क्षेत्र में काम कर रही हैं.

राजनीति के क्षेत्र में भी महिलाएं हैं. अगर दिसंबर 2021 की स्थिति देखें तो जहां कुल एम पीज़ की संख्या 650 है वहीं महिला एम पीज़ की संख्या है 223. देखा जाए तो सन 2017 के चुनावों के बाद से संसद में पहुंचने वाली महिलाओं का प्रतिशत 38% है. ये गर्व की बात है कि इस 38% में भारतीय मूल की भी दो महिलायें शामिल हैं और इन दोनों ने इतिहास रचा है. परमजीत परमार संसद में पहुंचने वाली पहली भारतीय मूल की महिला हैं तो प्रियंका राधाकृष्णन भारतीय मूल की पहली मिनिस्टर.

न्यूज़ीलैंड पार्लियामेंट में पहुंचने वाली भारतीय मूल की पहली महिला होने का गौरव पाया परमजीत परमार ने. 2014 के चुनावों में नेशनल पार्टी की प्रतिनिधि के तौर पर उन्होंने संसद में कदम रक्खा. वे रिसर्च, साइंस एंड इनोवेशन विषय पर विपक्ष की प्रवक्ता की भूमिका में रहीं. सन 2020 में उन्हें एकोनोमिक डेवलपमेंट विषय पर असोसिएट स्पोक्सपर्सन बनाया गया.

अपने कार्यकाल के पहले टर्म में वे ट्रांसपोर्ट और इंडस्ट्रियल रिलेशन्स सिलेक्ट कमिटी की डिप्टी चेयरपर्सन रहीं. अपने कार्यकाल के दूसरे टर्म में वे एजुकेशन  एंड वर्कफोर्स सिलेक्ट कमेटी की चेयरपर्सन रहीं.

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आइये पहले बात करते हैं परमजीत परमार जी से-

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आपका जन्म कब हुआ ? माता-पिता के बारे में कुछ बताइये? स्कूली शिक्षा कहां से पाई?

मेरा जन्म हुआ 1970 में. पिता भारतीय वायु सेना में अधिकारी थे. मां घर की अधिकारी. भारत का एक छोटा सा सुन्दर शहर है देवलाली, नासिक के पास, वहां के केन्द्रिय विद्यालय  में मेरी स्कूली शिक्षा हुई.

न्यूज़ीलैंड आप कब आईं? क्या शादी के बाद?

जी हां, मेरे पति रवींद्र परमार यहां थे. मैं 1995 में यहां आई.

इस आगमन से पार्लियामेंट तक का सफर कैसा रहा? क्या -क्या किया यहां?

यहां आने के बाद मैंने न्यूरो साइंस में पी एच डी की और एक सायंटिस्ट के तौर पर काम भी किया.

हिंदी रेडियो स्टेशन रेडिओ तराना पर करेंट अफेयर्स का एक टॉक शो किया करती थी, आप भी तो तब थीं न्यूज़ विभाग में.

जी,बिलकुल. हम कई साल साथ रहे हैं रेडिओ तराना पर.

आपको पता ही है कि प्रेस की ओर से मैं प्रधान मंत्री हेलन क्लार्क और बाद में एक बार प्रधान मंत्री जॉन की के साथ उनकी भारत यात्रा पर साथ गई थी.

विषय तो साइंस था, राजनीती में दिलचस्पी किस तरह हुई?

मन में कहीं इच्छा थी सक्रिय रूप से कुछ कर पाने की और करेंट अफेयर्स कार्यक्रम करते हुए ये और पुख्ता हुई. फिर संयोग भी उसी तरह के बनते गए. 2013 में नेशनल पार्टी ने मुझे फेमिली कमीशन के बोर्ड में शामिल किया और 2014 में बतौर लिस्ट एम पी में संसद में पहुँची.

मेरे ख्याल से आपने अपने कार्यकाल के दौरान आपने बायो टैक से सम्बंधित बिषय पर भी कुछ आवाज़ उठाई थी?

जी हां प्रीता जी, मैंने बायो टेक्नोलॉजी और जेनेटिक मॉडिफिकेशन को ले कर कुछ कानूनी बदलावों के लिए आवाज़ उठाई. मेरा मानना है कि न्यूज़ीलैंड में ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करने की दिशा में बायो टैक एक कारगर टूल हो सकता है और अगर न्यूज़ीलैंड जलवायु परिवर्तन को लेकर गंभीर है तो उसे अपने कुछ कानूनों में बदलाव करना चाहिए.

घरेलू हिंसा के मामले अक्सर सुनने को मिलते हैं. कुछ कहना चाहेंगी महिलाओं से इस बारे में?

यहां रहने वाली महिलाओं में जागरूकता की कमी तो नहीं है लेकिन एक मानसिकता है जो खुल कर सामने आने से रोकती है. इससे उनको उबरना होगा. किसी भी तरह का उत्पीड़न अगर है तो उसका खात्मा ज़रूरी है. उनको डरने की नहीं, सामने आने को ज़रुरत है. उनकी सहायता के लिए हमारा तंत्र भी सक्षम है और क़ानून भी.

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आइये अब कुछ बातें करें प्रियंका राधाकृष्णन जी से-

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प्रियंका राधाकृष्णन, ये वो दूसरा नाम है जिसने पहली महिला मिनिस्टर होने का गौरव पाया बल्कि वे ही भारतीय मूल की पहली मिनिस्टर हैं. 2017 के आम चुनावों में उन्होंने लेबर पार्टी के कैंडिडेट के तौर पर चुनाव लड़ा, 2020 के आम चुनावों में जीत दर्ज़ की और वर्तमान में वे कम्युनिटी एंड वॉलेंट्री सेक्टर, डायवर्सिटी, एथनिक कम्युनिटीज़ एंड यूथ का पोर्टफोलियो संभाल रही हैं.

पिछले वर्ष जनवरी में प्रियंका जी को भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविद जी द्वारा एक वर्चुअल प्रोग्राम में प्रवासी भारतीय सम्मान से नवाज़ा गया.

आइये इनसे कुछ बातचीत करते हैं-

आपका जन्म कब हुआ? माता-पिता के बारे में कुछ बताइये? स्कूली शिक्षा कहां से पाई?

मेरा जन्म 1979 में, चेन्नई, भारत में हुआ. मैं मलयाली नैयर परिवार से हूं. आरंभिक शिक्षा सिंगापुर में हुई और अपनी आगे की पढाई के लिए फिर मैं न्यूज़ीलैंड आई. वेलिंग्टन की विक्टोरिया युनिवर्सिटी से मैंने डेवलपमेंट स्टडीज़ में मास्टर्स किया.

राजनीति में रूचि कैसे हुई ? कोई पारिवारिक पृष्ठभूमि?

मेरे ग्रैंड फादर डॉ सी. आर. कृष्णा पिल्लई भारतीय राजनीति का चेहरा रहे हैं और केरल राज्य के गठन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है, शायद वही बीज बना हो.

आगमन से पार्लियामेंट तक का सफर कैसा रहा? क्या -क्या किया यहां?

अपनी पढाई के साथ ही मैंने सामाजिक कार्यों में भाग लेना शुरू किया, विशेषतः इंडियन कम्युनिटी के लिए. सन 2006 में मैंने लेबर पार्टी ज्वाइन की. मैं पार्टी की इंटरनल पॉलिसी डेवलपमेंट प्रोसेस का हिस्सा रही. स्थानीय तौर पर भी और क्षेत्रीय तौर पर भी मैंने पार्टी के लिए काम किया.

2014 के चुनावों में पार्टी लिस्ट में मेरा स्थान 23 वां था जो किसी न्यू कमर के लिए हाईएस्ट रैंकिंग है. लेकिन उस समय लेबर की स्थिति ठीक नहीं रही।  फिर 201 चुनावों के बाद पार्टी लिस्ट के आधार पर वे संसद में पहुंचीं. पार्टी लिस्ट में बारहवां स्थान था. 2019 में कैबिनेट री- शफल के समय मुझे एथनिक अफेयर्स का पार्लियामेंट्री प्राइवेट सेक्रेटरी बनाया गया. 2020 चुनाव ऐतिहासिक रहे मेरे लिये जब मैंने अपने प्रतिद्वंदी नेशनल पार्टी के डेनिस ली को 635 वोटों से हराकर जीत दर्ज़ की.

जब आपको मंत्री पद दिया गया तो हम सब भारतीय बहुत प्रसन्न हुए और हम सबको बड़ा गर्व महसूस हुआ.  आप पहली भारतीय हैं जिसको इस देश में मंत्री पद मिला. आप हम सब का प्रतिनिधि चेहरा हैं, क्या परिवर्तन या नया काम आप करना चाह रही हैं अपने समुदाय के लिए?

मैंने उन लोगों के लिए काम किया है और कर रही हूँ जिनकी आवाज़ें अनसुनी रह जाती हैं फिर चाहे वो माइग्रेंट वर्कर हों, घरेलू हिंसा का शिकार बनी महिलायें हों या सताये गए बेजुबान जानवर हों. मेरी कोशिश रहती है कि इनकी बात संसद तक पहुंचे. मेरा मानना है कि हर धर्म, जाती, लिंग, सामाजिक हैसियत के व्यक्ति को ससम्मान जीने का पूरा हक़ है और वो उसे मिलना चाहिए.

प्रियंका जी आप यूनियन मेंबर भी हैं- एशिया न्यूज़ीलैंड फाउंडेशन लीडरशिप नेटवर्क, नेशनल कौंसिल ऑफ़ वीमेन (आकलैंड) और यू एन की. आम महिलाओं के लिए कोई संदेश?

कभी भी अपने आप को कम या कमज़ोर ना समझें. इरादा करें, मेहनत करें और अपने सपने जियें.

 

साभार: Pehachaan.com

Preeta Vyas

Preeta Vyas

(न्यूजीलैंड निवासी लेखक/ पत्रकार प्रीता व्यास का रेडियो पर लंबी पारी के बाद प्रकाशन में भी कई दशक का योगदान। बच्चों के लिए लगभग दो सौ पुस्तकें प्रकाशित। पहली भारतीय लेखक जिन्होंने इंडोनेशियन भाषा और हिंदी में बाई लिंगुअल भाषा ज्ञान, व्याकरण की तीन पुस्तकें, इंडोनेशिया की लोक कथाएं, बाली की लोक कथाएं, बाली के मंदिरों के मिथक, एवं माओरी लोक कथाएं जैसी रचनाएँ प्रकाशित कीं ।)

After working many years as a radio broadcaster, Journalist and Author, Preeta Vyas has come out with 200 books for children. She is the only writer of Indian origin who has written bilingual books in Indonesian and Hindi languages; Bali ki Lok Kathayen (folk stories of Bali); Bali ke Mandiron ka Mithak (Myths of Bali Temples); and Maori LOk Kathayen (Maori Folk Stories). She is based in New Zealand.)

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