योग के आयाम: आत्मसाक्षात्कार; प्रत्याहार+भक्ति = आंतरिक स्थिरता “चुन- चुन कर अनुभव के मोती बोलों में हूँ पिरोती गुरू चरणों में हार बनाकर करती उन्हें समर्पित ”