महिला सशक्तिकरण: मिथ्या या सत्य?
“हटा दो सब बाधाएँ मेरे पथ की, मिटा दो आशंकाएँ सब मन की, ज़माने को बदलने की शक्ति को समझो, कदम से कदम मिला कर चलने तो दो मुझको” “महिलाएं आगे बढ़ रही हैं…” “देश बढ़ रहा है…” “सिनारिओ बादल रहा है…” “महिला सशक्तिकरण हो रहा है…” – ये कुछ पंक्तियाँ हैं जो आजकल हम सब की ज़ुबान पर यदा कदा बसी हुई हैं। पर क्या असली मायने में महिलाओं का सशक्तिकरण हो रहा है??? सन 1931 में हुये दूसरे गोल मेज़ सम्मेलन में महात्मा गांधी ने