..उन बंगाली मित्र के प्रति मेरे मन में प्रेम और श्रद्धा ऐसा नहीं है कि अब आई हो। देव दीपावली की शाम से पूर्व ही उन्होंने हमसे कहा कि उनकी सखी और उसकी कुछ सहेलियां भी देव दीपावली देखने की आकांक्षी हैं और भीड़ के भय से वे हमारे साथ आना चाहती हैं।बस वो दिन है और आज का दिन है, उसके प्रति मेरे मन में प्रेम बना हुआ है। PRAVASISAMWAD.COM जब कभी भी मैं गुलाम अली साहब का गाना “चुपके-चुपके रात दिन… ” सुनता हूँ तो मुझे अपने