हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले… आदमी की परिस्थितियों के आगे की विवशता को इससे बेहतर शब्दों का जामा पहनाना किसी मनुष्य के बस का तो
लता जी की आवाज़ , पूरे देश की पहचान है … कल ही बहार की आमद पर फूल देखे , आसमान का रंग देख , खुद से कहा था – सखी