हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले… आदमी की परिस्थितियों के आगे की विवशता को इससे बेहतर शब्दों का जामा पहनाना किसी मनुष्य के बस का तो