योग के आयाम: भूल की परिणति सुधार हम भूल के भँवर में ही फँस कर रह जाते हैं और परिणति तक पहुँच नहीं पाते भूल — सीखने
योग के आयाम: आत्मसाक्षात्कार; प्रत्याहार+भक्ति = आंतरिक स्थिरता “चुन- चुन कर अनुभव के मोती बोलों में हूँ पिरोती गुरू चरणों में हार बनाकर करती उन्हें समर्पित ”
योग के आयाम: मन एवं इन्द्रियाँ / पहले प्रशिक्षण, फिर परिणाम मन एवं इन्द्रियाँ मन एवं इन्द्रियाँ एक दूसरे की पूरक हैं| मन सबका केंद्र बिंदु है| इन्द्रियाँ वे खिड़कियाँ हैं