सिंधु घाटी के समानान्तर तमिलनाडु की पोरुनाई सभ्यता?

इस सभ्यता के तार जिन देशों से जुड़े हैं,जहां से भी व्यापार और सांस्कृतिक सम्बन्ध रहा है उन देशों में भी राज्य पुरातत्व विभाग अनुसंधान के लिए जाएगा। इस सिलसिले में मिस्र,ओमान,इंडोनेशिया, थाईलैंड,मलेशिया तथा वियतनाम आदि देशों में पुरातात्विक अनुसंधान की योजना बनाई जा रही है।मिस्र के काकेर अल क़ादिम, ओमान के खोर रोरी क्षेत्रों में संबंधित देशों के पुरातत्व विभाग के साथ संयुक्त अन्वेषण की योजना बनाई गई है।

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हाल ही में तमिलनाडु में लगभग 3200 साल पुरानी सभ्यता की पुष्टि हुई है। इस पुरातन सभ्यता के अवशेष थमीरापारानी नदी(पोरुनाई) के किनारे प्राप्त होने के कारण इसे थमीरापारानी नदी सभ्यता का नाम दिया गया है।

9 सितंबर 2021 को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने विधानसभा में थमीरापारानी (पोरुनाई) नदी सभ्यता के 3200 वर्ष पुराने होने की पुष्टि की है। उन्होंने ने अपनी उद्घोषणा में यह भी कहा कि तमिल संस्कृति के मूल तक जाने के लिए राज्य पुरातत्व विभाग उचित आदेश लेकर पड़ोसी राज्यों में भी उत्खनन करने की योजना बना रहा है। इसके तहत केरल का मुसीरी बंदरगाह जिसे अब पट्टनम के नाम से जाना जाता है, आंध्रप्रदेश में वेंगी, ओडिशा में पलूर और कर्नाटक में थलैकुड़ी आदि स्थानों पर अनुसंधान किया जाएगा।

उत्खनन में मिले पुरातात्विक धरोहरों के 3200 वर्ष पुराने होने की पुष्टि कार्बन डेटिंग पद्धति के अनुसार कराई गई है। मुख्यमंत्री स्टालिन द्वारा विधानसभा में जारी की गई उत्खनन के प्रमुख निष्कर्षों के अनुसार, दक्षिणी तमिलनाडु के शिवकलाई ,कोरकाई, और अधिचनल्लूर आदि स्थानों पर खुदाई के पश्चात मिली वस्तुओं के वैज्ञानिक परीक्षण के बाद वहां पुरानी और समृद्ध सभ्यता तथा उन्नत मानव सभ्यता के वैज्ञानिक प्रमाण मिले हैं।

खुदाई में मिले एक कलश के अंदर की मिट्टी और उसमें रखे चावल को अमेरिका के फ्लोरिडा शहर में स्थित बीटा एनालिटिकल लेबोरेटरी भेजा गया था। एक्सेलेरेटर मास स्पेक्टरोमेट्री पद्धति से भेजे गए सैंपल की जांच हुई थी, और यह पाया गया कि चावल के 1,155 ईसा पूर्व के हैं।

अधिचनल्लूर और कोरकाई में उत्खनित चांदी के सिक्के मिले हैं, जिन पर सूर्य चन्द्र और अन्य ज्यामितीय चिन्ह उकेरे गए हैं ।ये सिक्के ईसा पूर्व चौथी शताब्दी के हैं जो कि मौर्य साम्राज्य से भी पहले का कालक्रम है। यहां खुदाई के दौरान मिले अन्य सामानों का कालक्रम ईसा पूर्व 8वीं और 9वीं शताब्दी है।

इन सब प्रामाणिक साक्ष्यों से सिंधु घाटी सभ्यता के समानांतर एक उन्नत दक्षिणी सभ्यता, जिसके बारे में अभी तक जानकारी नही थी का पता चला है।

भारतीय सभ्यता की अभी न जाने कितनी कड़ियाँ भूगर्भ  में दबी पड़ीं हैं। जरूरत है केंद्र तथा राज्य सरकारों के समन्वयन की, पुरातत्व और पुरातात्विक महत्व के धरोहरों के समुचित रखरखाव और उनके लिए आमजन में जागरूकता फैलाने की। इस सिलसिले में तमिलनाडु सरकार का प्रयास सराहनीय एवं अनुकरणीय है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि भारतीय सभ्यतागत इतिहास को इस खोज से एक नया परिपेक्ष्य मिला है,पोरुनाई(तामीरबरानी नदी) सभ्यता दक्षिण भारत की सबसे पुरानी और वैज्ञानिक प्रक्रिया द्वारा समर्थित, सिंधु घाटी सभ्यता की समकालीन सभ्यता है, जो सांस्कृतिक, व्यापारिक और औद्योगिक गतिविधियों में बहुत समृद्ध थी। उन्होंने सभ्यतागत इतिहास के इस नए आयाम को जोड़ने के लिए सभ्यतागत पुरातन इतिहास के अद्यतन करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।तमिलनाडु सरकार ने 15 करोड़ रुपयों की लागत से तिरुनेलवेली में पोरूनाई पुरातात्विक संग्रहालय स्थापित करने की घोषणा की है।

राज्य सरकार ने यह भी कहा कि प्राचीन तमिलों की इस सभ्यता के तार जिन देशों से जुड़े हैं,जहां से भी व्यापार और सांस्कृतिक सम्बन्ध रहा है उन देशों में भी राज्य पुरातत्व विभाग अनुसंधान के लिए जाएगा। इस सिलसिले में मिस्र,ओमान,इंडोनेशिया, थाईलैंड,मलेशिया तथा वियतनाम आदि देशों में पुरातात्विक अनुसंधान की योजना बनाई जा रही है।मिस्र के काकेर अल क़ादिम, ओमान के खोर रोरी क्षेत्रों में संबंधित देशों के पुरातत्व विभाग के साथ संयुक्त अन्वेषण की योजना बनाई गई है।

भारत की उन्नत पुरातन संस्कृति और सभ्यता की एक और कड़ी उजागर हुई है। भारतीय सभ्यता की अभी न जाने कितनी कड़ियाँ भूगर्भ  में दबी पड़ीं हैं। जरूरत है केंद्र तथा राज्य सरकारों के समन्वयन की, पुरातत्व और पुरातात्विक महत्व के धरोहरों के समुचित रखरखाव और उनके लिए आमजन में जागरूकता फैलाने की। इस सिलसिले में तमिलनाडु सरकार का प्रयास सराहनीय एवं अनुकरणीय है।

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