आप का पंजाब

  • मान सरकार की शासन शैली स्पष्ट रूप से पंजाब में दिल्ली मॉडल का अनुसरण करना चाहती है, और अपने इस जूनून में यह भूल बैठी है कि पंजाब २३ ज़िलों २३७ कस्बों और १२५८१ गांवों वाला राज्य है कोई महानगर नहीं। इस राज्य के अपने गम्भीर  मसले हैं जिनका हल दिल्ली मॉडल में नहीं है
  • यहाँ पंजाब को अपनी जरूरतों अपनी आकांक्षाओं पर आधारित मॉडल की जरूरत है। पंजाब के विविध धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवेश को देखते हुए, पंजाब के लिए ‘दिल्ली मॉडल’ की प्रतिकृति अत्यधिक तर्कहीन और अतार्किक लगती है
  • पंजाब से संबंधित मुद्दे काफी विविध हैं जिनकी जड़ें धर्म, पहचान, इतिहास और संस्कृति में छुपी हैं, जिन्हें पंजाबी बहुत भावुकता से लेते हैं।

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पंजाब  प्रदेश की बात करें तो,एक तरफ जहाँ  ये हमेशा से समृद्ध प्रदेश रहा है, गुरुओं की धरती, वीरों की धरती, संस्कृति, धनधान्य, विरासत और देश के लिए मर मिटने के जज्बे में भी अव्वल प्रदेश। वहीं दूसरी तरफ पंजाब हमेशा से सम्वेदनशील प्रदेश भी रहा है, सीमान्त प्रदेश, अलगाववाद, आतंक बेरोज़गारी और  नशे के चंगुल में फंसता निकलता हुआ राज्य। पंजाब का राजनैतिक रुझान भी समस्त देश से कुछ अलग ही देखने में आता है। जब पूरा देश नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के साथ खड़ा दिख रहा है तब पंजाब कांग्रेस के साथ खड़ा रहा।   इसबार कांग्रेस को भी धता बता कर आम आदमी पार्टी को बहुमत से जिताया।

 बदलाव का जनादेश

पंजाब में आम आदमी पार्टी  ११७  में से ९२ सीटें जीत कर कांग्रेस तथा अकाली दल के वर्चस्व को रौंदते हुए सत्ता पर काबिज़ हुई। चुनाव परिणामों के ठीक बाद मुख्यमंत्री मान ने जनता से मुखतिब होते हुए कहा था कि वोट देकर आपने अपनी जिम्मेदारी बखूबी पूरी की है,अब हमारी बारी है जिम्मेदारी पूरी करने की। १० महीने पहले उन्होंने भरोसा दिलाया था पंजाब की जनता को कि वे बदलाव लाएंगे, लेकिन पिछले १० महीनों के उनके कार्यकाल का अगर लेखाजोखा लिया जाये तो कुछ सराहनीय पहलुओं को छोड़ कर, दिल्ली मॉडल की बिना सोची समझी नक़ल के अलावा कुछ भी नहीं । मुफ्त पानी बिजली ने ऐसे ही प्रदेश को क़र्ज़ में डालने में कोई कसर नहीं छोड़ी, ऊपर से अभी महिलाओं को १००० रूपये प्रति माह का वादा अभी लंबित ही  है।

हालांकि किसी भी सरकार के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए १० महीने पर्याप्त नहीं हैं, फिर भी चर्चा करने तथा इच्छाशक्ति की परख लिए कुछ महत्वपूर्ण पहलू हैं : सरकार की निर्णय लेने की प्रक्रिया का नियंत्रण, उसकी दिशा और उसका उद्देश्य। राज्य के बहुप्रतीक्षित पुनरुद्धार के लिए उठाये गए क़दम और क्या करने की आवश्यकता है इसका विश्लेषण, और कथनी करनी के बीच के अंतर का अध्ययन करना महत्वपूर्ण है। मौजूदा  पंजाब  जिस तरह एक चौराहे पर खड़ा है, आप के शासन के दृष्टिकोण और इसमें शामिल राजनीतिक गतिशीलता को उजागर करना महत्वपूर्ण है।

ऊँची दूकान फीके पकवान

पंजाब में आप सरकार ने अब तक निम्नलिखित फैसले/पहलें की हैं: (i) भ्रष्टाचार विरोधी हेल्पलाइन शुरू करना (ii) 400 से अधिक लोगों के सुरक्षा कवर को वापस लेना (iii) मूंग पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) (iv) “एक एमएलए, एक पेंशन योजना” को अधिसूचित करना (iii) कुछ अस्थायी सरकारी नौकरियों का नियमितीकरण (iv) नलकूपों पर भार वृद्धि शुल्क में कटौती (v) गन्ने की कीमतों में वृद्धि (vi) 500 ‘आम आदमी’ क्लीनिक खोलना दिल्ली के  “मोहल्ला क्लीनिक” के तर्ज़ पर  (vii) अवैध अतिक्रमणों पर कार्रवाई, (viii) 600 यूनिट मुफ्त बिजली (ix) दिल्ली हवाई अड्डे के लिए सरकारी वोल्वो बसों की शुरुआत (x) एक गैंगस्टर विरोधी टास्क फोर्स का गठन (xi) पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) (बारहवीं)का कार्यान्वयन (xii ) 117 सरकारी स्कूलों को “प्रतिष्ठित स्कूलों” के रूप में अपग्रेड करना।

उपर्युक्त बिंदुओं के कार्यान्वयन के प्रचार में प्रदेश सरकार ने सभी मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रचार सामग्री की भरमार कर दी गई है। सोशल मीडिया समाचार पत्रों के मुखपृष्ठ मान सरकार के विज्ञापनों से भर दिए गए हैं। जनता के पैसों का दुरूपयोग बड़े मनोयोग से किया जा रहा है।लोगों के बीच ये धारणा बनती जा रही है कि सरकार प्रभावी शासन के बजाय राजनीतिक स्टंट और प्रचार को ही प्रश्रय दे रही है।

भगवंत मान सरकार के लिए जरूरी है कि जल्द से जल्द पंजाब की समस्याओं का संज्ञान लेकर ज़मीनी स्तर पर कार्य करें। नए निवेशों को बढ़ावा देकर रोजगार के अवसर प्रदान करें।नशे के चंगुल में फंसे युवा वर्ग को सही दिशा में ले जाने के लिए शिक्षा और पारम्परिक तथा गैर पारम्परिक रोजगार की संभावनाओं के निर्माण की योजनाएं लाएं। साथ ही आतंकवाद और अलगाववाद की जड़ें हमेशा के लिए खोद दे जाए

 

दिल्ली मॉडल को लेकर जूनून

मान सरकार की शासन शैली स्पष्ट रूप से पंजाब में दिल्ली मॉडल का अनुसरण करना चाहती है, और अपने इस जूनून में यह भूल बैठी है कि पंजाब २३ ज़िलों २३७ कस्बों और १२५८१ गांवों वाला राज्य है कोई महानगर नहीं। इस राज्य के अपने गम्भीर  मसले हैं जिनका हल दिल्ली मॉडल में नहीं है। यहाँ पंजाब को अपनी जरूरतों अपनी आकांक्षाओं पर आधारित मॉडल की जरूरत है। पंजाब के विविध धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवेश को देखते हुए, पंजाब के लिए ‘दिल्ली मॉडल’ की प्रतिकृति अत्यधिक तर्कहीन और अतार्किक लगती है। पंजाब से संबंधित मुद्दे काफी विविध हैं जिनकी जड़ें धर्म, पहचान, इतिहास और संस्कृति में छुपी हैं, जिन्हें पंजाबी बहुत भावुकता से लेते हैं।

अराजकता का माहौल

हाल के घटना क्रम पर अगर ध्यान दें तो मान सरकार प्रदेश में अमन चैन कायम रखने में लगभग नाकाम रही है। ‘वारिस पंजाब दे’ चीफ अमृतपाल सिंह का अजनाला कांड के बाद भी खुला घूमना और खालिस्तान बनाने के उसके मंसूबों पर ध्यान न देना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है ।  मुख्यमंत्री मान ने इस प्रकरण पर कहा था कि  हज़ार लोग पंजाब का प्रतिनिधित्व नहीं करते और आज हम सब इसका खामियाज़ा देख रहे हैं। इस आलेख के लिखे जाने तक अमृतपाल को पंजाब पुलिस पकड़ नहीं पाई है। दूसरा प्रकरण है सिद्धू मूसेवाला की हत्या का। यहाँ गौरतलब है कि  मान सरकार ने उनकी सुरक्षा वापस ली थी, लेकिन इसकी सूचना को सार्वजनिक करना सरकार की तरफ से बड़ी भूल थी जिसका खामियाजा मूसेवाला को अपनी जान गँवा कर भरना पड़ा। अमृतपाल प्रकरण तो अब अंतर्राष्ट्रीय समाचार बन बैठा है। पंजाब में बैठ कर सरकार की नाक तले खालिस्तान बनाने की साजिश और आतंक का माहौल पैदा करने वाले अमृतपाल पर एक अरसे तक चुप बैठी सरकार से कोई पूछे कि आखिर किस हादसे का इंतज़ार कर रहे थे अमृतपाल जैसे अलगाववादी तत्व पर कार्यवाही करने के लिए ! देश विदेश में खालिस्तान आंदोलन के मद्देनज़र सिख कम्युनिटी को बैन किया जा रहा है। कनाडा ब्रिटेन ऑस्ट्रेलिया आदि के हाईकमीशन पर खलिस्तांन का झंडा लहराया जाना कोई आमबात नहीं है।अगर ऐसा ही रहा तो १९८४ का पंजाब भी दिल्ली दूर नहीं !

 

नशे का उगता जंगल

नशे के चंगुल से निकला पंजाब एक बार फिर नशे का  जंगल बनाने की तरफ काम बढ़ा रहा है पंजाब में नशीली दवाओं के दुरुपयोग ने एक महामारी का रूप ले लिया है जिसने राज्य में पूरे समाज को हिला कर रख दिया है। यह देखा गया है कि पंजाब में “मादक पदार्थों का सेवन” एक उग्र महामारी है, खासकर युवाओं में।पंजाब के युवाओं में नशे की समस्या गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि हर तीसरा व्यक्ति शराब और तम्बाकू के अलावा हेरोइन, चरस गांजा आदि  अन्य नशे का आदी है।

चेतना जरूरी

भगवंत मान सरकार के लिए जरूरी है कि जल्द से जल्द पंजाब की समस्याओं का संज्ञान लेकर ज़मीनी स्तर पर कार्य करें। नए निवेशों को बढ़ावा देकर रोजगार के अवसर प्रदान करें।नशे के चंगुल में फंसे युवा वर्ग को सही दिशा में ले जाने के लिए शिक्षा और पारम्परिक तथा गैर पारम्परिक रोजगार की संभावनाओं के निर्माण की योजनाएं लाएं। साथ ही आतंकवाद और अलगाववाद की जड़ें हमेशा के लिए खोद दे जाए ।

(हॉटलाइन से साभार)

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