ज्ञान की बातें हम सभी करते हैं किन्तु मृत्यु की यथार्थता ज्ञान शून्य कर जाती है| शरीर नश्वर और आत्मा अमर है, न जाने कितनी बार पढ़ा और सुना है फिर भी ज्यों ही उस नश्वर शरीर का स्पर्श होता है वह जीवंत हो उठता है, अपनी अहमियत बताता है|
अतीत के भूल-भुलैया में भ्रमण कराता है बस यही बतलाने को कि जिस जीवन का आनन्द हमने उठाया उसका आधार यह शरीर ही है| परिस्थितियों का, मान-अपमान का, हर्ष एवं विषाद को झेलने वाला यह नश्वर शरीर ही है…….जो हमारे प्रेम , स्नेह एवं आदर का अधिकारी है…..जीवित अवस्था में …..न कि मृत्यु उपरान्त…..|
— सं. योगप्रिया (मीना लाल)