प्रवासी संवाद: कल आज और कल -1
प्रवासी और उन से जुड़े मुद्दे अचानक महत्वपूर्ण होने लग गए हैं। जहाँ कल तक उनकी कोई सुध लेने वाला नहीं था वही आज सरकार से लेकर तमाम राजनीतिक दलों को उनकी चिंता हो रही है।
बात उच्चतम न्यायलय तक पहुंच गयी है। उच्चतम न्यायलय ने इनका संज्ञान लिया है।
सप्ताह भर की प्रवासी ख़बरों पर एक नजर:
- सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताते हुए पूछा है जिन प्रवासी मजदूरों के पास पहचान पत्र नहीं है, उन तक कैसे पहुंचेगी सरकारी स्कीम। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हमारी चिंता ये है कि जिन प्रवासी मजदूरों के पास पहचान पत्र नहीं है, उन्हें भी सरकारी बेनिफिट स्कीम का लाभ मिल सके।
- सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा है कि नौकरी गंवा चुके प्रवासी मजदूरों को दो वक्त का खाना देना सरकार की जिम्मेदारी है। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि जो भी बेनिफिशियरी है उसतक स्कीम का लाभ मिले उसमें प्रवासी मजदूर भी शामिल हैं।
- एक अन्य मौके पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि प्रवासी मजदूरों के पंजीकरण की प्रक्रिया काफी धीमी है। इसे तेज करना चाहिए। कोर्ट ने श्रमिकों के पंजीकरण के मुद्दे पर केंद्र के साथ-साथ राज्यों के प्रयासों पर भी प्रश्न उठाये हैं।
- इस बीच हरियाणा रोडवेज की बसें प्रवासी मजदूरों का सहारा बनीं। धान रोपाई का सीजन 15 जून से शुरु हो रहा है, लेकिन कोरोना बीमारी के कारण बिहार से आने वाली ट्रेनें बंद हैं। मजदूरों के पास रोडवेज बसों का सहारा लेने के अलावा कोई उपाय नहीं है। कैथल डिपो की बसें सुबह से शाम तक लगभग 600 प्रवासी मजदूर को लेकर आ जा रही हैं।
- पश्चिम बंगाल से कांग्रेस पार्टी के सांसद अधीर रंजन चौधरी की ममता बनर्जी को चिट्ठी लिख कर बंगाल के प्रवासी मजदूरों के लिए अलग विभाग बनाने की मांग की है। चिट्ठी में कहा उन्होंने है- “एक समय था जब देशभर से लोग काम करने के लिए पश्चिम बंगाल, खासतौर से कोलकाता में आते थे और यहां रोजी रोटी कमाते थे। हाल के सालों में हालात काफी ज्यादा बगल गए हैं। आज पश्चिम बंगाल का आदमी कमाने के लिए पूरे देश के बड़े शहरों में जा रहे हैं।” हाल के लॉकडाउन का हवाला देते हुए उन्होंने कहा,”इस दौरान हमारे लोगों को एजेंट ने ठगने का काम किया। साथ ही वो बंगाली लोग जो विदेशों में रहते हैं, उनको भी मारा-मारा फिरना पड़ा। ऐसे में मेरा आपसे आग्रह है कि बंगाली प्रवासी कामगार जो देश या विदेश में हैं, उनको परेशानी का सामना ना करना पड़ा। इसके लिए एक विशेष विभाग बने जो प्रवासियों के कल्याण और सहूलियत के लिए काम करे।”
- उधर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रवासी श्रमिकों के ‘शोषण’ को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने इसे रोकने के लिए मजबूत तंत्र की जरूरत बताई है।
- इस बीच राजपुरा तहसील (पंजाब) में झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले प्रवासी मजदूरों लोगों पर नजर रखने की मांग हुई है। स्थानीय लोगो ने उनपर अपराध को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है।
- वन नेशन वन राशन कार्ड पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। कहा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम का लक्ष्य प्रवासी लाभार्थियों को सशक्त बनाना है।
- कोरोना संक्रमण के दौरान बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक पलायन कर अपने-अपने राज्य पहुंचे थे. परन्तु वापस काम पर जाने में उन्हें काफी परेशानी हो रही है. झारखंड से दूसरे महानगरों को जाने वाली ट्रेनों में लंबी वेटिंग लिस्ट है।
- मध्यप्रदेश ने प्रवासी श्रमिक पोर्टल, श्रमिक सेवा मोबाइल एप्प लांच किया। इसके माध्यम से प्रदेश के 7,30,311 प्रवासी श्रमिकों तथा उनके परिवार के सदस्यों का चिंहांकन, सत्यापन उपरांत पंजीयन किया गया है. इस पोर्टल का उपयोग शासन के विभिन्न विभागों तथा जिला प्रशासन द्वारा प्रवासी श्रमिकों व उनके परिवार के सदस्यों के पुनर्वास एवं कल्याण के लिए किया जा रहा है प्रवासी श्रमिकों के डाटा का विश्लेषण कर जिला स्तर पर उनको नियोजित करने तथा यथासंभव पलायन को कम करने के प्रयास किए जा रहे है।