आम शब्द की उत्पत्ति अम्र से हुई है जिसका अर्थ होता है खट्टा, शायद यही अम्र शब्द यात्रा करता हुआ अमृत भी हो गया हो …
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आम शब्द की उत्पत्ति अम्र से हुई है जिसका अर्थ होता है खट्टा, शायद यही अम्र शब्द यात्रा करता हुआ अमृत भी हो गया हो शायद। पुराने समय में आम का फल के रूप में उतना महत्त्व नहीं था, बल्कि उसकी मंजरियों का ही महत्त्व था। आम का मंजर कामदेव के पांच पुष्प-बाणों में सबसे प्रमुख था। मदनोत्सव में स्त्रियां इससे श्रृंगार भी किया करती थीं।
कुछ तो इस फल में ज़रूर है कि कविगुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर को कहना पड़ा था कि जिस वर्ष उन्हें आम के मौसम में आम खाने को न मिला हो वह वर्ष व्यर्थ रहा
भारत के हर क्षेत्र का अपना विशिष्ट प्रजाति का आम होता है. महाराष्ट्र के अल्फोंसो ने सिर्फ महाराष्ट्र के आर्थिक उन्नति के कारण आमों का राजा होने का खिताब भले पा लिया हो लेकिन बनारसी व्यक्ति लंगड़ा आम से ऊपर किसी आम को नहीं रखता, मलिहाबाद का व्यक्ति दशहरी को सबसे बेहतर पाता है, पटना वासी दीघा के सफेदा से ऊपर किसी आम को नहीं आंकते, भागलपुर का मालदह आम भी अमृत तुल्य ही होता है।
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