Tuesday, April 23, 2024
spot_img

झंडा ऊँचा रहे हमारा !

पापा जब भी दफ़्तर में झंडा लहरा कर आते तो मैं बड़ी उम्मीद ले कर उनके पास जाया करती और पूछती कि पापा मुझे झंडा कब दोगे , मुझे भी तो अपनी छत पर लहराना है अपना तिरंगा !  जवाब में पापा कहते, बेटा तिरंगे घरों पर नहीं लहरा सकते तिरंगा हमारे देश की शान है उसे कहीं भी यूं नहीं लहरा सकते। तिरंगा तो सिर्फ़ सरकारी इमारतों और फौज में लहरा सकते हैं। खास दिनों पर खास समारोहों में तिरंगा लहराया जाता है

PRAVASISAMAD.COM

इस बार स्वतंत्रता दिवस पर आज़ादी का रंग कुछ इस कदर दिलो दिमाग पर चढ़ा कि अब तक न उतर सका है, कुछ खास रहा मेरे लिए। हम सब भारत वासियों के लिए खास रहा है और रहेगा इसमें नया क्या है लेकिन मेरी वजह तो बहुत खास है।

आज़ादी की पचहत्तरवीं वर्षगाँठ के जश्न ने मेरे बचपन में मेरे मन पर लगी एक गांठ को खोल कर रख दिया। बात उनदिनों की है जब सरे आम तिरंगा लेकर कोई भी यूँ ही नहीं घूम सकता था। पापा जब भी दफ़्तर में झंडा लहरा कर आते तो मैं बड़ी उम्मीद ले कर उनके पास जाया करती और पूछती कि पापा मुझे झंडा कब दोगे , मुझे भी तो अपनी छत पर लहराना है अपना तिरंगा !  जवाब में पापा कहते, बेटा तिरंगे घरों पर नहीं लहरा सकते तिरंगा हमारे देश की शान है उसे कहीं भी यूं नहीं लहरा सकते। तिरंगा तो सिर्फ़ सरकारी इमारतों और फौज में लहरा सकते हैं। खास दिनों पर खास समारोहों में तिरंगा लहराया जाता है। उमंगों भरा मेरा मन उदास हो जाया करता था। ढेरों सवाल उठा करते थे की क्या हमारे घरों पर लगे तिरंगे देश की शान को कम कर देंगे ! क्या तिरंगे पर एक आम आदमी का उतना ही हक़ नहीं जितना किसी राजनेता का ! छोटी उम्र के सवाल भी बड़े बेबाक होते हैं, उनमे लिहाज़ और औकात के फिल्टर्स जो नहीं लगे होते !

पापा का जवाब सुन मेरे बाल मन में तिरंगे के प्रति श्रद्धा तो बढ़ी मगर एक ज़िद भी कि किसी तरह इस तिरंगे को  लहराने के काबिल बनना है। फ़ौज के जवानों को देखा था तिरंगे में लिपट कर वापस आते तब मन में ठाना था कि बड़े होकर फौज में ही भर्ती होना है कि जिस तिरंगे को हम अपने घरों में लहरा नहीं सकते, फौजी उनको पहन सकते हैं। उस सपने का भी खात्मा  इस खुलासे के साथ हुआ की लड़कियां तो फौज में भर्ती ही नहीं हो सकतीं। ख़ैर ये पुरानी बात है,अब हमारा देश बड़ा हो गया है।

  • बचपन से ही वीयरिंग माय हार्ट ऑन माय स्लीव का फंडा रहा है मेरा और फौज वाली बात भी तिरंगे वाली बात  जितनी ही चुभ गई थी। जैसे जैसे मैं बड़ी हुई वैसे ही मेरा देश भी बड़ा होता गया और तिरंगे का क़द भी, लेकिन तिरंगे को अपने घर पर लहराने की मेरी ज़िद धीरे धीरे छोटी होती गई ,अब मैं बड़ी जो हो गई थी , पता था के तिरंगा ऐसे ही कोई भी नहीं लहरा सकता , तिरंगे की कद काठी  उसकी  बनावट और जिस कपडे का तिरंगा बनता है उस सब का एक मापदंड है जिसका रत्ती भर भी इधर उधर होना गुनाह होता है। 

  • फिर १९९५  में एक खबर आई थी कि दिल्ली हाई कोर्ट ने नवीन जिंदल जी की अपील पर तिरंगे को आम जन की पहुंच में ला दिया था।  फ्लैग कोड ऑफ़ इंडिया २००२ के तहत अब कोई भी अपने घर पर तिरंगा लहरा सकता था हर दिन या जब जी चाहे !

बचपन से ही वीयरिंग माय हार्ट ऑन माय स्लीव का फंडा रहा है मेरा और फौज वाली बात भी तिरंगे वाली बात  जितनी ही चुभ गई थी। जैसे जैसे मैं बड़ी हुई वैसे ही मेरा देश भी बड़ा होता गया और तिरंगे का क़द भी, लेकिन तिरंगे को अपने घर पर लहराने की मेरी ज़िद धीरे धीरे छोटी होती गई ,अब मैं बड़ी जो हो गई थी , पता था के तिरंगा ऐसे ही कोई भी नहीं लहरा सकता , तिरंगे की कद काठी  उसकी  बनावट और जिस कपडे का तिरंगा बनता है उस सब का एक मापदंड है जिसका रत्ती भर भी इधर उधर होना गुनाह होता है।

फिर १९९५  में एक खबर आई थी कि दिल्ली हाई कोर्ट ने नवीन जिंदल जी की अपील पर तिरंगे को आम जन की पहुंच में ला दिया था।  फ्लैग कोड ऑफ़ इंडिया २००२ के तहत अब कोई भी अपने घर पर तिरंगा लहरा सकता था हर दिन या जब जी चाहे !

दिल को तसल्ली तो  मिली थी लेकिन ये कोई आम खबर नहीं थी जिसे आम जन तक पहुंचाया गया हो , तिरंगा अब भी सरकारी इमारतों पर ही दिखता था या फिर इक्का दुक्का घरों पर राष्ट्रिय पर्वों पर !

सरकार की इस बार की हर घर तिरंगा मुहीम देख कर सच में सुकून सा मिला मेरे मन को के अब कोई छोटा बच्चा अपने पापा से तिरंगे के लिए पूछे बगैर अपनी छत पर अपनी मर्ज़ी से तिरंगा लहरा सकता है।

यहाँ बात कानून बदलने की नहीं, मानसिकता बदलने की है। एक जन भावना फ़ैलाने की है। यह सन्देश आम आदमी को देने की है कि इस देश में उसे भी तिरंगा फहराने का उतना ही हक़ है जितना किसी और का, साथ ही तिरंगे की आन बान शान की रक्षा की जिम्मेदारी भी सौपने की है।   १५ अगस्त को जब हर नुक्कड़ चौराहे हाइवे एक्सप्रेसवे पर तिरंगा देखा तो मानो मेरा बचपन लौट आया, यही तो चाहता था मेरा बाल मन, हर घर तिरंगा हर मन तिरंगा !! जय हिन्द !

Toshi Jyotsna
Toshi Jyotsna
(Toshi Jyotsna is an IT professional who keeps a keen interest in writing on contemporary issues both in Hindi and English. She is a columnist, and an award-winning story writer.)

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -

EDITOR'S CHOICE

Register Here to Nominate