योग के आयाम: नकारात्मक विचारों को सकारात्मक रूप देना

Pic@Kaushalendra

प्रतिपक्ष-भावना — नकारात्मक विचारों को सकारात्मक विचारों का रूप देना | यह बुद्धि के सदुपयोग को दर्शाती है जो साधना के रूप में शुरू होती हैऔर व्यवहार के रूप में परिलक्षित होती है | जब तक आत्मविश्वास नहीं आयेगा प्रतिपक्ष भावना सिद्ध नहीं होती | इसके लिए प्रथम खुद को साधने कीआवश्यकता है, पवित्र बनाने की | प्रयास द्वारा एक समय ऐसा आता है जब षटरिपुओं को नियंत्रित किया जा सकता है |

प्रतिपक्ष भावना को चित्त में आरोपित करने हेतु विपरीत शब्दों का ज्ञान अवश्यक है जैसे —

क्रोध – क्षमा

अहंकार – संयम

हिंसा – प्रेम

घृणा – स्नेह

ईर्ष्या – प्रशंसा

डर – आत्मविश्वास. आदि – आदिI

— सं. योग प्रिया (मीना लाल)

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