विविध Archives - Page 3 of 14 - pravasisamwad
Browse Category

विविध - Page 3

चेतक बनाम बुलेट

चेतक की स्मृति और उसके न होने की कसक कोसी क्षेत्र में भ्रमण के दौरान हो आना बहुत ही सामान्य

स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र यांगून (म्यांमार) और भारतीय दूतावास ने विश्व हिंदी दिवस मनाया

 यांगून (म्यांमार) में स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र (एसवीसीसी) ने भारतीय दूतावास के सहयोग से विश्व हिंदी दिवस बड़े उत्साह और

यायावरी की मस्ती

दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया तुझ से भी दिल-फ़रेब हैं ग़म रोज़गार के — फैज़ PRAVASISAMWAD.COM यायावरी की मस्ती की चर्चा बहुत से लेखकों ने की है लेकिन यदि आपकी यात्रा का

पूर्वाग्रह से आगे

…मेरी समस्या यह नहीं कि मैं नया स्वीकार नहीं कर पाता, बल्कि मेरे साथ सबसे बड़ी चुनौती  यह है कि मूलभूत बातों को छोड़ मेरी विचारधारा पर उस बात का अत्यधिक प्रभाव जिसका मैं  तत्काल अनुभव कर रहा होता हूँ PRAVASISAMWAD.COM आदमी को चाहिए कि वह हर रोज कुछ नया सीखे, तभी वह हर बीते कल की

जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे आर्यावर्ते

यायावरी में रास्ता ही मंज़िल होता है, खानाबदोशी में वहाँ पहुँचना होता है जहाँ भोजन मिले पर चाकरी में जहाँ मालिक भेजे वहाँ जाना होता है, वह भी समय से और कुल के बावजूद भी मैं हूँ तो एक सम्मानित चाकर ही और सम्मानित भी कितना हूँ यह मेरा दिल और मेरे सहकर्मी ही जानते हैं PRAVASISAMWAD.COM जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे आर्यावर्ते बिहार राज्ये अररिया नगरे कुछ ऐसे भी स्थान हैं जिनका विकास के मानचित्र पर

मित्रता दिवस

अवगुणों की सहर्ष स्वीकृति ही मित्रता का आधार है और इसलिए यह रिश्ता अन्य सभी रिश्तों से उपर है। PRAVASISAMWAD.COM

कबूतर जा जा ..

कबूतर संदेशवाहक हुआ करते थे राजाओं और शासकों के, और साथ ही कबूतरबाज़ी भारतीय संस्कृति का हिस्सा बन गया। कबूतरों को प्रशिक्षित किया जाने लगा। PRAVASISAMWAD.COM अपने दिल्ली आवास में पिछले हफ़्ते जब बीमार पड़ी तो एक तो इस बात से चिढ़ हो रही

चरैवेति चरैवेति…

मेरे घुमक्कड़पन से चिढ़ते हैं मेरे परिवार के सदस्य! वर्जनाएँ ढेरों मिलती हैं … पर दुनिया को देख लेने की मेरी इस चाह को कोई वाजिब नहीं समझता। वे इस बात से अनभिज्ञ हैं कि चरंति वसुधां कृत्स्नां वावदूका बहुश्रुताः यानी बुद्धिमानऔर वाक्–कुशल व्यक्ति, सारी पृथ्वी का भ्रमण करते हैं !  PRAVASISAMWAD.COM ऐतरेय उपनिषद में कहा गया है कि सतत चलते रहो – चरैवति चरैवति! प्रवाह
1 2 3 4 5 14
Go toTop